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जब इस एक्ट्रेस का ब्लाउज देख यूजर्स ने दिए ऐसे-ऐसे रिएक्शन, कमेंट्स में बोली ऐसी बात

Sherlyn Chopra trolled on Instagram: एक्ट्रेस शर्लिन चोपड़ा कई फिल्मों और ढेरों सीरियल में काम कर चुकी हैं. लेकिन फिल्मों और सीरियल से ज्यादा वो अपने सोश्ल मीडिया के पोस्ट को लेकर सुर्खियां बटोरती हैं. शर्लिन चोपड़ा का ग्लैमरस लूक देखकर हर कोई फिदा हो जाता है, और उनके ऐसे ही लुक के लिए लोग उन्हे फॉलो करते हैं.

शर्लिन चोपड़ा ने एक दिन पहले एक पोस्ट शेयर किया है जिसमें उनका एक वीडियो है. इसमें शर्लिन ने लहंगा पहना है जिसके ब्लाउज पर खूब चर्चे हो रहे हैं. इस पोस्ट में लोगों ने क्या क्या कहा चलिये बताते हैं…


क्यों चर्चा में है शर्लिन चोपड़ा का पोस्ट?

शर्लिन चोपड़ा ने एक वीडियो शेयर किया है जिसमें उन्होने लहंगा पहना है. इसी पोस्ट को लेकर उनको लेकर बातें हो रही हैं. इसके कैप्शन में उन्होने लिखा, ‘हम इस कदर तुम पर मर मिटेंगे…की तुम जहाँ देखोगे तुम्हें हम ही दिखेंगे’ इसी पोस्ट को लेकर शर्लिन चोपड़ा सुर्खियों में हैं.

जब इस एक्ट्रेस का ब्लाउज देख यूजर्स ने दिए ऐसे-ऐसे रिएक्शन, कमेंट्स में बोली ये बात

जब इस एक्ट्रेस का ब्लाउज देख यूजर्स ने दिए ऐसे-ऐसे रिएक्शन, कमेंट्स में बोली ये बात

इसमें किसी ने लिखा, ‘दो हुक ने पूरा भार संभाला है’. वहीं किसी दूसरे ने लिखा, ‘इतना भरोसा तो मुझे खुद पर भी नहीं है जितना इन्हे अपने हुक पर है.’ एक ने लिखा, ‘हुक के ऊपर कितना दबाव होगा जरा सोचकर देखो.’ ऐसे ही कई कमेंट्स शर्लिन चोपड़ा को लेकर फैंस के किए हैं. ‘कामसूत्र 3-डी’ फेम एक्ट्रेस शर्लिन चोपड़ा अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर काफी एक्टिव रहती हैं. फैंस के लिए शर्लिन चोपड़ा एक से बढ़कर तस्वीरें और वीडियो शेयर करती रहती हैं.

2002 में आई तमिल फिल्म ‘वेंदी मब्बुलु’ से एक्टिंग करियर की शुरुआत की थी. इसके बाद इन्होने कई हिन्दी फिल्में की. इनका ऐसा ही अंदाज लोगों को काफी पसंद आता है. शर्लिन चोपड़ा की इतनी उम्र हो गई लेकिन वो अभी भी अनमैरिड हैं और फैंस चाहते हैं कि एक्ट्रेस जल्द ही शादी कर लें.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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