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वो मुझसे पहले से इंडस्ट्री में हैं पर… तारक मेहता में मोनाज मेवावला की एंट्री पर बोलीं जेनिफर

Tarak Mehta Ka Ooltah Chashma: सब टीवी परप आने वाला कॉमेडी शो ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ इन दिनों सुर्खियों में बना हुआ है. सोशल मीडिया पर शो को बॉयकॉट किए जाने की मांग की जा रही है. इस बीच खबर आ रही है कि मेकर्स ने रोशन सिंह सोढ़ी की पत्नी के तौर पर एक्ट्रेस मोनाज मेवावला को कास्ट कर लिया है. मोनाज बहुत जल्द जेनिफर मिस्त्री बंसीवाल को रिप्लेस करती नजर आएंगी.

शो में मोनाज मेवावला से खुद को रिप्लेस किए जाने को लेकर जेनिफर मिस्त्री ने पिंकविला को अपना रिएक्शन दिया है. मोनाज को लेकर जेनिफर ने कहा, ‘वे एक खूबसूरत लड़की है. वह बहुत टैलेंटेड भी है. मैं उम्मीद करती हूं, कामना करती हूं और दुआ करती हूं कि वह इस किरदार को निभाते हुए आगे बढ़े. वह मुझसे पहले भी इंडस्ट्री में रही है लेकिन उसे पहचान नहीं मिली.’

मोनाज को चुने जाने पर किया ऐसे रिएक्ट
जेनिफर ने आगे कहा, मुझे उम्मीद है कि ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ और मिसेज रोशन के किरदार से मोनाज को सही फेम और पहचान मिलेगी. ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ में अपने किरदार को लेकर जेनिफर ने कहा, ‘मैंने रोशन को अपने सिस्टम से मुक्त कर दिया है और दुआ की कि किरदार सफल हो. आज, मुझे इस किरदार के लिए मोनाज को चुने जाने की खबर मिली. इससे मेरा विश्वास मजबूत हो गया क्योंकि मैंने इसके लिए दुआ की थी.’

रोशन के कैरेक्टर को लेकर कही ये बात
रिप्लेसमेंट की खबर के बारे में जानने पर जेनिफर मिस्त्री ने आगे कहा, ‘इस खबर ने मुझ पर थोड़ा सा भी असर नहीं किया. किरदार और रोशन का किरदार निभाने वाले एक्टर के लिए मेरे दिल में सिर्फ प्यार है.’ जेनिफर ने आगे कहा कि उन्हें यह भी एहसास हुआ कि शो में रोशन की ऑनस्क्रीन फैमिली भी उनकी तरह पीड़ित थी. इसमें बहुत सारे सीन नहीं हैं. इसलिए अब उनके लिए भी चीजें बेहतर हो जाएंगी और वे इससे खुश हैं.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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