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रिलीज हुआ ‘फुकरे 3’ का पहला गाना ‘वे फुकरा’, ‘हनी’ औऱ ‘चूचा’ के साथ पंकज त्रिपाठी ने लगाए ठुमके

Fukrey 3 First Song: एक्सेल एंटरटेनमेंट की ‘फुकरे 3’ (Fukrey 3) अपने ट्रेलर लॉन्च के बाद से ही चर्चा में है. हाल में मेकर्स ने फिल्म की रिलीज डेट का ऐलान कर इसका ट्रेलर और फिल्म के पहले गाने ‘वे फुकरे’ की एक झलक भर जारी कर दर्शकों के उत्साह को एक अलग लेवल पर पहुंचा दिया था. वहीं अब फैंस का इंतजार खत्म करते हुए मेकर्स ने फिल्म के पहले गाने ‘वे फुकरे’ को रिलीज कर दिया है. जो सोशल मीडिया पर धूम मचा रहा है.  से पर्दा उठा दिया है.

रिलीज हुआ फुकरे 3’ का पहला गाना

‘फुकरे’ फ्रेंचाइजी हमेशा चार्टबस्टर गानों से सजी रहती है. ऐसे में, मच अवेटिड ‘फुकरे 3’ के पहले गाने ‘वे फुकरे’ में हनी और चूचा के साथ पंडित जी भी थिरकते हुए नजर आ रहे हैं. बता दें कि ‘वे फुकरे’ गाने को तनिष्क बागची ने कंपोज किया है. साथ ही गाने को देव नेगी और असीस कौर ने गाया है और बोल शब्बीर अहमद ने दिए हैं. गाने को बॉस्को मार्टिस ने कोरियोग्राफ किया है.

फिल्म में नजर नहीं आएंगे अली फजल?

बता दें कि इस बार भी ‘फुकरे 3’ में पुलकित सम्राट, वरुण शर्मा, मनजोत सिंह और पंकज त्रिपाठी अहम किरदारों में नजर आने वाले हैं. इसके अलावा फिल्म में भोली पंजाबन का रोल निभाने वाली ऋचा चड्ढा एक बार फिर इसमें फुकरों की क्लास लगाएगी. हालांकि इस बार फिल्म से अली फजल गायब रहने वाले हैं. ‘फुकरे 3’ को मृगदीप सिंह लांबा ने डायरेक्ट किया है. फिल्म 28 सितंबर को थिएटर्स में रिलीज होने वाली है. जिसका फैंस को बेसब्री से इंतजार है.

बताते चलें कि एक्सेल एंटरटेनमेंट, जिसे रितेश सिधवानी और फरहान अख्तर द्वारा सह-स्थापित किया गया था, ने समय-समय पर ZNMD, दिल चाहता है और कई दूसरी ब्लॉकबस्टर फिल्मों के साथ दर्शकों को अपना दीवाना बनाया है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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