असम: NRC विवाद के बीच बिहार, बंगाल और दिल्ली में घुसपैठियों की पहचान, नागरिकता लिस्ट बनाने की मांग!

नई दिल्ली: असम के नेशनल रजिस्टर फॉर सिटिजन की फाइनल ड्राफ्ट रिपोर्ट में 40 लाख लोगों को नागरिक नहीं माना है। इस रिपोर्ट की चर्चा सिर्फ असम में नहीं बल्कि पूरे देश में है। देश के अलग-अलग हिस्सों से मांग उठ रही है कि वहां भी अवैध घुसपैठियों की पहचान की जाए। कहा जा रहा है कि घुसपैठिए सिर्फ असम में ही नहीं हैं बल्कि दूसरे राज्यों में भी हैं। बंगाल से लेकर दिल्ली तक नागरिकता लिस्ट बनाने की मांग हो रही है।
असम इकलौता राज्य है जहां नेशनल सिटीजन रजिस्टर बनाया जा रहा है। दरअसल, असम में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों को लेकर हमेशा से विवाद रहा है। एक अनुमान के मुताबिक असम में करीब 50 लाख बांग्लादेशी गैरकानूनी तरीके से रह रहे हैं। यह किसी भी राष्ट्र में गैरकानूनी तरीके से रह रहे किसी एक देश के प्रवासियों की सबसे बड़ी संख्या है।
80 के दशक में इसे लेकर छात्रों ने आंदोलन किया था। इसके बाद असम गण परिषद और तत्कालीन राजीव गांधी सरकार के बीच समझौता हुआ। समझौते में कहा गया कि 1971 तक जो भी बांग्लादेशी असम में घुसे, उन्हें नागरिकता दी जाएगी और बाकी को निर्वासित किया जाएगा। अब तक सात बार एनआरसी जारी करने की कोशिशें हुईं। 2013 में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। अंत में अदालती आदेश के बाद ये लिस्ट जारी हुई है।