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मशहूर एक्टर सतीश कौशिक का निधन, अनुपम खेर ने सोशल मीडिया पर दी जानकारी

Satish Kaushik Death: बॉलीवुड के लिए एक दुख भरी खबर सामने आई है. मशहूर एक्टर सतीश कौशिक का निधन हो गया है. सतीश कौशिक ने 66 साल की उम्र में आखिरी सांस ली. उनका निधन हार्ट अटैक से हुआ है. सतीश कौशिक के करीबी दोस्त अनुपम खेर ने सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर करके इसकी जानकारी दी है. उन्होंने सतीश कौशिक के साथ फोटो शेयर कर लिखा – जानता हूँ “मृत्यु ही इस दुनिया का अंतिम सच है!

अनुपम खेर ने ट्वीट करके अपने सबसे खास दोस्त को खोने का दुख जाहिर किया है. उन्होंने सतीश कौशिक के साथ एक तस्वीर शेयर करते हुए लिखा- जानता हूं ‘मृत्यु ही इस दुनिया का अंतिम सच है!’ पर ये बात मैं जीते जी कभी अपने जिगरी दोस्त सतीश कौशिक के बारे में लिखूंगा, ये मैंने सपने में भी नहीं सोचा था. 45 साल की दोस्ती पर ऐसे अचानक पूर्णविराम !! Life will NEVER be the same without you SATISH ! ओम् शांति!

हार्ट अटैक से हुआ निधन

सतीश कौशिक का निधन हार्ट अटैक से हुआ है. अभिनेता अनुपम खेर ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में अपने दोस्त के निधन पर दी जानकारी. उन्होंने बताया कि सतीश कौशिक का शव इस समय गुड़गांव के फोर्टिस अस्पताल में रखा गया है. पोस्टमार्टम के बाद आज दोपहर में उनका पार्थिव शरीर उनके मुम्बई स्थित घर लाया जाएगा और फिर यहीं पर उनका अंतिम‌ संस्कार किया जाएगा. सतीश कौशिक किसी से मिलने‌ के लिए गुड़गांव में किसी के फार्महाउस गये हुए थे. फार्महाउस से लौटते वक्त कार में सतीश कौशिक को आया हार्टअटैक आया और फिर उन्हें गुड़गांव के फोर्टिस अस्पताल ले जाया गया.

सतीश कौशिक ने बॉलीवुड में हर जॉनर में काम किया है. वह एक बेहतरीन एक्टर होने के साथ स्क्रिप्ट राइटर, डायरेक्टर और प्रोड्यूसर भी थे. उन्होंने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत जाने भी दो यारों फिल्म से की थी. उन्हें असली पहचान फिल्म मिस्टर इंडिया से मिली थी. उन्होंने राम लखन, साजन चले ससुराल, जैसी कई फिल्मों में काम किया है. वह जल्द ही कंगना रनौत की फिल्म इमरजेंसी में नजर आने वाले थे. कुछ समय पहले ही उनका फर्स्ट लुक जारी किया गया था.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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