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क्या आपके एरिया में भी Blinkit नहीं चल रहा? एप के डिलीवरी पार्टनर हड़ताल पर हैं, जानिए क्यों

Blinkit Workers Strike : ब्लिंकिट जोमैटो की किराना यूनिट है. इस एप से लोग ग्रोसरी का सामान आसानी से अपने दरवाजे पर मंगवा लेते हैं. लेकिन, क्या आपकी Blinkit एप भी काम नहीं कर रही है. आप किराने का सामान मंगवाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन ऐप चल ही नहीं रही है? अगर ऐसा हो रहा है तो शायद आप दिल्ली एनसीआर में रह रहे होंगे. ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि ब्लिंकिट के डिलीवरी पार्टनर पिछली पेमेंट सिस्टम की बहाली की मांग को लेकर हड़ताल पर हैं. इस हड़ताल के कारण दिल्ली-एनसीआर के विभिन्न हिस्सों में Zomato की ब्लिंकिट ग्रॉसरी यूनिट के लगभग 50 स्टोर बंद हो गए हैं.

डिलीवरी पार्टनर क्यों कर रहे हड़ताल?

रिपोर्ट्स से पता चला है कि जोमैटो के स्वामित्व वाली कंपनी ब्लिंकिट के साथ काम करने वाले सैकड़ों डिलीवरी पार्टनर कंपनी के पेआउट स्ट्रक्चर में बदलाव के विरोध में पिछले तीन दिनों से हड़ताल कर रहे हैं. हड़ताल के पीछे का कारण ब्लिंकिट के भुगतान ढांचे में हालिया बदलाव हैं, जहां डिलीवरी पार्टनर्स को अब प्रति डिलीवरी 25 रुपये के के बजाय 15 रुपये प्रति डिलीवरी का न्यूनतम शुल्क मिल रहा है.

क्या चाहते हैं डिलीवरी पार्टनर?

कई स्थानों पर काम करने वाले लगभग पचास श्रमिकों ने कहा कि नए पेमेंट स्ट्रक्चर से उनकी दैनिक आय में 40-50 प्रतिशत की कमी आएगी. कर्मचारी चाहते हैं कि नए पेमेंट स्ट्रक्चर को तुरंत रद्द कर दिया जाए, और अनुरोध किया जा रहा है कि पेमेंट स्ट्रक्चर में कोई भी बदलाव कर्मचारियों के साथ सलाह मशवरा करके लिया जाए. एप का बंद होना ऐप के नियमित ग्राहकों को प्रभावित कर रहा है क्योंकि वे पिछले कुछ दिनों से ब्लिंकिट ऐप पर ऑर्डर नहीं कर पा रहे हैं.  

कई यूजर्स ने ट्विटर पर भी इस मुद्दे को उठाकर कंपनी से बंद सेवाओं के बारे में पूछा है. ट्विटर पर एक यूजर के सवाल का जवाब देते हुए ब्लिंकिट ने कहा,  “हम समझते हैं कि इससे आपको परेशानी हो रही होगी. हमारी टीमें इसे जल्द से जल्द ठीक करने पर काम कर रही हैं, और हम आपको फिर से सेवा देने के लिए बहुत जल्द वापस आएंगे,” 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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