टैकनोलजी

कॉल पर तेज-तेज करते हैं बात या तेज आवाज में सुनते हैं गाने तो अब इस Bus में नहीं मिलेगी जगह

Best Buses: अगर आप फोन पर तेज-तेज बात करते हैं या गाने सुनते हैं तो अब आपको मुंबई की BEST बसों में जगह नहीं मिलेगी. सिर्फ उन्हें एंट्री दी जाएगी जो हेडफोन के साथ सफर करेंगे या सफर के दौरान चुप-चाप रहेंगे. बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिंग ने कहा कि ये कदम लोगों की शिकायतों के बाद उठाया गया है. दरअसल, आज Reels के दौर में आपने देखा होगा कि कई लोग बस और मेट्रो में Reels बनाने के चक्कर में शोर-गुल करते हैं. इसके चलते अन्य यात्रियों को परेशानी होती है. कई लोग तेज वॉल्यूम में बसों में गाने सुनते हैं. इससे अन्य यात्रियों को परेशानी होतो है. इसी समस्या को खत्म करने के लिए Best ने ये कदम उठाया है. जो व्यक्ति नियम का उलंघन करेगा उसके खिलाफ मुंबई पुलिस एक्ट के सेक्शन 38/112 के तहत कार्रवाई की जाएगी. 

इतने हजार का फाइन और हो सकती है जेल 

नियमो का उलंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और 3 से 5 रुपये का फाइन मामले को देखते हुए व्यक्ति पर लगाया जा सकता है. जो लोग फाइन नहीं देंगे उन्हें कोर्ट के सामने पेश होना होगा और फिर उन्हें जेल भी हो सकती है.

हर दिन 30 लाख से ज्यादा यात्री करते हैं सफर 

Best ने बस ऑपरेटरो और अन्य प्राइवेट वाहनों को इस बारे में यात्रियों को बताने को कहा है साथ ही पोस्टर लगाने की भी अपील की है . Best की बस सर्विस मुंबई, ठाणे, नवी मुंबई और मीरा-भायन्दर के शहरों में उपलब्ध है. हर दिन करीब 30 लाख से ज्यादा लोग Best बसों के जरिए एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं. 

मुंबई में खुला पहला एपल स्टोर

हाल ही में एपल ने मुंबई के BKC के जियो वर्ल्ड ड्राइव मॉल में अपना पहला आधिकारिक स्टोर खोला है. दूसरा स्टोर कंपनी ने दिल्ली में ओपन किया है. मुंबई में खुले स्टोर के लिए कंपनी हर महीने 42 लाख रुपये का रेंट देगी और रेवेन्यू का कुछ हिस्सा स्टोर ओनर के साथ भी शेयर करेगी. मुंबई में खुला एपल स्टोर 20,000 स्क्वायर फीट में फैला हुआ है जबकि दिल्ली वाला स्टोर सिर्फ 10,000 स्क्वायर फीट में है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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