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क्या आप भी अपने दुकान पर एक्सेप्ट करते हैं ऑनलाइन पेमेंट? अगर हां, तो जरूर पढ़ें ये खबर, ऐसे बना

Fake Payment: UPI पेमेंट या ऑनलाइन पेमेंट का चलन तेजी से बढ़ा है और आज हर कोई बिना पर्स और कैश के घूमना पसंद करता है. 10 रुपये की चाय हो या लाखो का सामान, सभी का भुगतान आज लोग ऑनलाइन माध्यम से करते हैं. वैसे ते तरीका सेफ और इजी भी है लेकिन इस डिजिटल युग में लोगों ने इसका भी तोड़ निकाल लिया है. दरअसल, लोग फेक पेमेंट का स्टेटस दिखाकर सामन लेकर रफ्फू चक्कर हो जा रहे हैं. हाल ही की एक घटना में, एक ठग ने सोने के सिक्कों की ‘खरीद’ के लिए भुगतान का नकली स्क्रीनशॉट दिखाया और आभूषण स्टोर के मालिक से 2 लाख रुपये लूट लिए.

आप न करें ये गलती 

पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक व्यक्ति शुक्रवार को गुरुग्राम में एक आभूषण की दुकान में घुसा और उसने 2 लाख रुपये के सोने के सिक्के खरीदे. जब बात पेमेंट की आई तो उसने ऑनलाइन पेमेंट का हवाला दिया और दिए गए अकाउंट नंबर पर पैसे ट्रांसफर कर स्टोर ओनर को स्क्रीनशॉट दिखाया. स्टोर ओनर ने व्यक्ति को अपने पति की बैंक डिटेल दी थी. जब कुछ देर बाद स्टोर ओनर ने बैंक स्टेटमेंट देखा तो उसमें कोई ऐसी पेमेंट नहीं हुई थी.  

ज्वेलरी स्टोर की मालकिन अनुराधा ने पुलिस कंप्लेंट में कहा कि उनके पति मुकेश कुमार उस समय अस्पताल में थे. उन्होंने अपने पति का बैंक अकाउंट नंबर पेमेंट के लिए दिया था. खरीदार ने उन्हें वॉट्सऐप पर पेमेंट का स्क्रीनशॉट भेजा और कहा कि भुगतान सफल हो गया है. लेकिन बाद में महिला ने खाते की जांच की तो उन्हें पता चला कि ऐसा कोई भुगतान अकाउंट में नहीं हुआ है.

दरअसल, हुआ ये कि व्यक्ति ने फेक ट्रांसक्शन स्लिप महिला को भेजी जो हो सकता है उसने किसी ऐप की मदद से बनाई हो. इसलिए हमेशा ऑनलाइन पेमेंट लेते वक़्त पहले पेमेंट का स्टेटस अपने अकॉउंट में चेक करें, तभी खरीदार को सामान दें. आज कल कई ऐसे ऐप्स आ गए हैं जो इस तरह से आपको ट्रिक कर सकते हैं और वास्तव में वह पेमेंट आपके अकाउंट में आई ही नहीं होगी.

ध्यान दें, किसी भी स्क्रीशॉट या दुकान के बाहर जाकर पेमेंट कर रहा हूँ आदि बहानो पर यकीन न करें और सामान तभी दें जब पेमेंट आपके अकॉउंट में आ जाएं. अपनी सुविधा के लिए पेमेंट रिसीविंग स्पीकर लगाएं ताकि आपको फ़ौरन अपडेट मिल जाए.  

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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