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भूल गए हैं गूगल अकाउंट का पासवर्ड, तो यूज करिए ये ट्रिक, अपने आप रिकवर होगा अकाउंट

Google Password Forgot : अगर आप अपने गूगल अकाउंट का पासवर्ड भूल गए हैं, तो आपको अब लग रहा होगा कि, आप कैसे जीमेल, गूगल पे और दूसरे अकाउंट को कैसे ओपन कर सकेंगे, लेकिन अब आपको इसके लिए परेशान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि गूगल आपको पासवर्ड को रिकवर करने का मौका देता है. इस प्रोसेस के बारे में हम आपको यहां बताने जा रहे हैं. आइए जानते हैं गूगल अकाउंट के पासवर्ड को कैसे रिकवर करें.

गूगल अकाउंट का पासवर्ड कैसे करें रिकवर

accounts.google.com के जरिए पासवर्ड रिकवर.
सबसे पहले अपको पर जाना होगा.
फिर आपको अपना जीमेल या रजिस्टर मोबाइल नंबर एंटर करना होगा.
इसके बाद पासवर्ड Forgot पर क्लिक करें.
अगर आपके एंड्रॉयड डिवाइस पर गूगल अकाउंट पहले से सेट है तो आपके पास प्रॉम्प्ट भेजेगा.
इसमें आपको Yes, It’s me पर क्लिक करेंगे.
फिर आपको नया पासवर्ड क्रिएट करना होगा.

दूसरा तरीका – अगर आपके एंड्रॉयड फोन में गूगल अकाउंट सेट नहीं है तब ये करें

सबसे पहले पर जाएं.
फिर जीमेल एड्रेस या मोबाइल नंबर एंटर करें.
फिर नीचे दिए गए ट्राई अनॉदर वे पर टैप करें.
इसके बाद आपसे पुराने पासवर्ड को एंटर करने के लिए कहा जाएगा.
अगर आपका सही पासवर्ड है, तो आप ऑटोमेटिक लॉगइन हो जाएंगे, नहीं तो इस स्टेप को जारी रखें.
जैसे ही नेक्स्ट ऑप्शन पर क्लिक करेंगे वैसे ही रिकवरी ईमेल एड्रेस पर गूगल वेरिफिकेशन कोड आएगा.
फिर वेरिफिकेशन कोड एंटर करें.
फिर आपको नए पेज पर रिडायरेक्ट किया जाएगा, जहां आप नया पासवर्ड क्रिएट कर पाएंगे.

तीसरा तरीका: एंड्रॉइड फोन से करें पासवर्ड रिकवर 

फोन की स्क्रीन को डाउन करें और गूगल पर टैप करें.
इसके बाद मैनेज योर गूगल अकाउंट बटन पर टैप करें.
इसके बाद सिक्योरिटी टैब पर जाएं.
स्क्रॉल डाउन करें और पासवर्ड बॉक्स पर टैप करें.
फिर फॉरगेट पासवर्ड पर टैप करें.
इसके बाद स्क्रीन लॉक कंफर्म करने के लिए कहा जाएगा और आपको Continue पर टैप करना होगा. 
एक प्रॉम्प्ट आएगा जिसमें आपको फिंगरप्रिंट या किसी दूसरे लॉक स्क्रीन मेथड के जरिए कंफर्म करना होगा.
जैसे ही आप इसे कंफर्म करेंगे आप पासवर्ड रीसेट कर पाएंगे.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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