टैकनोलजी

Elon Musk अब तक ट्विटर यूजर्स को दे चुके हैं 166 करोड़ से ज्यादा रुपये, इस तरह आप भी कर सकते हैं

Twitter Ads revenue Program Eligibility: एलन मस्क ने जुलाई में क्रिएटर्स के साथ Ads रेवेन्यू शेयर करने की बात कही थी. यानि ऐसे लोग जिनेक ट्विटर पर अच्छे खासे फॉलोअर्स हैं वे टेक्स्ट पोस्ट के माध्यम से कमाई कर सकते हैं. कंपनी Ads से होने वाली कमाई का कुछ हिस्सा क्रिएटर्स को देती है. इस बीच कंपनी की सीईओ लिंडा याकारिनो ने एक एक्स पोस्ट में बताया कि Ads रेवेन्यू प्रोग्राम शुरू होने के बाद से अब तक कंपनी क्रिएटर्स को 166 करोड़ से ज्यादा रुपये (लगभग 20 मिलियन डॉलर) का भुगतान कर चुकी है.

इस तरह आप भी कर सकते हैं कमाई 

एक्स का एड्स रेवेन्यू प्रोग्राम एलिजिबल क्रिएटर्स को उनके कंटेंट के द्वारा जनरेट किए गए रेवेन्यू का कुछ हिस्सा देता है. जब भी कोई यूजर अपने पोस्ट या प्रोफ़ाइल पर कोई विज्ञापन देखता है तो प्लेटफ़ॉर्म उस इंप्रेशन से रेवेन्यू उत्पन्न करता है और इस राजस्व का कुछ प्रतिशत क्रिएटर्स के साथ साझा किया जाता है.

एड्स रेवेन्यू प्रोग्राम का हिस्सा बनने के लिए आपको कुछ शर्तें पूरी करनी होती हैं-

  • आपके अकाउंट पर 500 एक्टिव फ़ॉलोअर्स होने चाहिए. 
  • पिछले 3 महीने में आपके अकाउंट पर 5 मिलियन से ज्यादा पोस्ट इम्प्रैशन होने चाहिए (इसमें केवल वेरिफाइड अकाउंट के इम्प्रैशन ही काउंट होंगे)
  • आपने एक्स प्रीमियम या ट्विटर ब्लू का सब्सक्रिप्शन लिया होना चाहिए. 

यदि आप इन सभी शर्तों को पूरा करते हैं तो आप भी ट्विटर से कमाई कर सकते हैं. ध्यान दें, एड्स रेवेन्यू प्रोग्राम केवल इंडिविजुअल अकाउंट के लिए है. जल्द ट्विटर यूजर्स को प्लेटफॉर्म में वीडियो और वॉइस कॉल का ऑप्शन मिलेगा. इसके बाद मस्क लोगों को पेमेंट से जुडी सेवा का भी लाभ देंगे.  

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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