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बेटे की शर्ट पहन अनिल ने की ‘द नाइट मैनेजर’ की शूटिंग, बोले- पुरानी है कपड़े उधार मांगने की आदत

Anil Kapoor On Borrowing Clothes: बॉलीवुड के एवरग्रीन एक्टर अनिल कपूर इन दिनों अपनी नई वेब सीरीज द नाइट मैनेजर को लेकर सुर्खियों में हैं. ये सीरीज डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर स्ट्रीम हो गई है, जिसे लोग बहुत पसंद कर रहे हैं. इस सीरीज में अनिल कपूर ने बिजनेस टायकूल का किरदार निभाया है. अब अनिल कपूर ने खुलासा किया कि उन्होंने सीरीज द नाइट मैनेजर में बेटे की शर्ट कपड़े पहनी थी. वह अक्सर बच्चों के कपड़े उधार मांगकर पहन लेते हैं. 

नहीं वापस किया जैकी श्रॉफ का ट्राउजऱ

अनिल कपूर ने सुचारिता त्यागी के साथ एक इंटरव्यू में बताया, ‘विरासत (1997) के लिए मैंने जो ट्राउजर पहना है, वो जैकी श्रॉफ का था. मैंने उनसे कहा कि मुझे ये चाहिए तो उन्होंने दे दिया. अब जैकी श्रॉफ 20 सालों से ट्राउडर मांग रहे हैं, लेकिन ट्राउजर अभी भी मेरे पास है.’ 

सीरीज के लिए पहनी बेटे की शर्ट

एक्टर बताया कि उन्होंने द नाइट मैनेजर में एक शर्ट पहनी है, जो उनके बेटे हर्षवर्धन की है. इसके अलावा वह सीरीज के एक सीन में शॉर्ट्स पहने हुए नजर आते हैं, जो उनके फिजियोथेरेपिस्ट का था. अनिल ने बताया कि उनकी कपड़े उधार लेने की आदत कई साल पुरानी है.

चुरा लिए बेटियों के सनग्लासेस

इसके साथ ही अनिल कपूर ने बताया कि वह अपनी बेटियों सोनम कपूर और रिया कपूर के वार्डरोब में भी अपने पहनने लायक एक्सेसरीज और कपड़े ढूंढते रहते हैं. उन्होंने कहा, ‘मैं अपने कैरेक्टर को दिलचस्प बनाने के लिए किसी का भी कुछ भी चुरा लूंगा.  मैंने रिया, सोनम के वॉर्डरोब से उनके सनग्लासेस चुरा लिए हैं. इन दिनों कुछ ऐसे कपड़े आते हैं, जिसे मेल और फीमेल दोनों पहन सकते हैं जैसे जैकेट और कोट वगैरह. हम एक-दूसरे के कपड़े पहनते हैं’.

अनिल कपूर की फिल्में

वर्क फ्रंट की बात करें तो अब अनिल कपूर बहुत जल्द  एनिमल में नजर आएंगे, जिसमें वह रणबीर कपूर के साथ स्क्रीन शेयर करते हुए दिखेंगे. रश्मिका मंदाना और बॉबी देओल भी इस फिल्म का हिस्सा हैं. इसके अलावा अनिल कपूर के पास फाइटर फिल्म है जिसमें ऋतिक रोशन और दीपिका पादुकोण लीड रोल में नजर आएंगे.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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