टैकनोलजी

कोटा: नीट की तैयारी कर रहे छात्र की 10वीं मंजिल से गिरकर मौत, एक दिन पहले ही लौटा था घर

Kota News: कोटा में नीट (NEET) की तैयारी कर रहे एक कोचिंग छात्र की 10वीं मंजिल से गिरने से मौत हो गई. ये सुसाइड है या हादसा इसकी पुलिस जांच कर रही है. छात्र 7 मई को नीट यूजी का पेपर देकर सोमवार को जयपुर से कोटा लौटा था. छात्र की पहचान कर्नाटक के बेंगलुरु के रहने वाले नासिर (22) के रूप में हुई है. 

नासिर सोमवार देर रात करीब 11 बजे विज्ञान नगर क्षेत्र स्थित सुवालका बिल्डिंग में अपने दोस्त के घर गया था. वहां 10वीं मंजिल से गिरने से उसकी मौत हो गई. प्रत्यक्षदर्शी और सुवालका बिल्डिंग में रहने वाले प्राध्यापक पंडित ने बताया कि उन्हें जैसे ही धड़ाम की आवाजा आई तो नीचे देखा की बच्चा गिर गया. वह तीसरी मंजिल से नीचे आए और बच्चे को संभाला और ऑटो से उसे एमबीएस अस्पताल लेकर गए जहां उसकी सांसे चल रही थीं, उसे बचाने का प्रयास किया लेकिन उसकी कुछ ही देर में मौत हो गई. उन्होंने कहा कि उसके गिरने पर उसका सिर फट गया था, हाथ पैर टूट गए थे, स्टूडेंट लहूहुहान हो गया था.

कुछ दिन पहले दोस्त के घर हुआ था शिफ्ट
विज्ञान नगर थाने के एएसआई आरिफ मोहम्मद ने बताया कि रोड नंबर 1 पर सुवालका बिल्डिंग का मामला है. देर रात 11 बजे हमें सूचना मिली की कोचिंग छात्र गिर गया है. अस्पताल जाकर देखा तो स्टूडेंट की मौत हो गई थी. मंगलवार सुबह उसका पोस्टमॉर्टम कराया गया. पुलिस के अनुसार नासिर अपने दोस्त सुजीत के साथ इंद्र विहार में रहता था. वहां पर इनका रेंट एग्रीमेंट पूरा हो गया था.

ऐसे दोनों अपने दूसरे दोस्तों के पास में सुवालका बिल्डिंग के फ्लैट 1003 में शिफ्ट हो गए थे. जहां पर 5 मई से यह रह रहे थे. जबकि इनके मित्र 1 मई से इस बिल्डिंग में रह रहे हैं. पुलिस इस संबंध में अब यह जांच पड़ताल कर रही है कि नासिर खुद गिरा है या फिर उसने आत्महत्या की है. नासिर ड्रॉपर बैच का स्टूडेंट है, वह पहले भी नीट यूजी की परीक्षा दे चुका है. नासिर के पिता को इस संबंध में सूचना दे दी गई है.

News Reels

ये भी पढ़ें-

Rajasthan: कर्नाटक में बनने जा रही कांग्रेस की सरकार, यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल का बड़ा दावा

Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button