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‘आदिपुरुष’ को लेकर अब नेपाल में हुआ विवाद, बैन के डर से मेकर्स ने फिल्म से हटाया ये डायलॉग

Adipurush Controversy: कृति सेनन और प्रभास की मोस्ट अवेटेड फिल्म आदिपुरुष आज (16 जून) रिलीज होने जा रही है. फिल्म अपने ट्रेलर रिलीज से ही दर्शकों के विरोध का सामना कर रही है. पहली बार रिलीज किए गए ट्रेलर में हनुमान जी को चमड़ा पहनाने से लेकर नए ट्रेलर में सीताहरण के सीन्स को गलत तरीके से दिखाने तक फिल्म को विरोध का सामना करना पड़ा है.

फिल्म आदिपुरुष के कुछ सीन्स का जहां अब तक भारत में विरोध हुआ तो वहीं अब जब फिल्म अपनी रिलीज के बेहद करीब आ गई है तब नेपाल में भी इसका विरोध शुरू हो गया है. दरअसल काठमांडू मेट्रोपॉलिटन सिटी के मेयर बालेन शाह ने 15 जून को ये एलान कर दिया है कि अगर फिल्म के डायरेक्टर ओम राउत ने अपनी फिल्म आदिपुरुष में से सीता के जन्मस्थान के बारे में की गई ‘गलती’ को ठीक नहीं किया तो राजधानी में किसी भी इंडियन फिल्म की स्क्रीनिंग नहीं की जाएगी.

बालेन शाह ने दिया था तीन दिन का वक्त
बालेन शाह ने नेपाली में ट्वीट करते हुए लिखा, ‘जब तक साउथ इंडियन फिल्म ‘आदिपुरुष’ में शामिल ‘जानकी भारत की बेटी है’ का नारा जो न सिर्फ नेपाल में बल्कि भारत में भी सच है, तब तक कोई भी हिंदी फिल्म काठमांडू मेट्रोपॉलिटन सिटी में चलाने की इजाजत नहीं दी जाएगी. इसे ठीक करने के लिए 3 दिन का वक्त दिया गया है. माता सीता की जय.’

नेपाल की इस जगह पर हुआ था सीता का जन्म
बता दें कि इसी सिलसिले में नेपाल के सेंसर बोर्ड ने भी आदिपुरुष की स्क्रीनिंग ना कराने का फैसला किया था. गौरतलब है कि रामायण के मुताबिक माता सीता का जन्म नेपाल के जनकपुर में हुआ था. हालांकि कहा जा रहा है कि आदिपुरुष से सीता को भारत की बेटी बताने वाले अंश को हटा दिया गया है जिसके बाद सेंसर बोर्ड ने फिल्म को पास कर दिया है. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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