बॉलीवुड और मनोरंजन

ससुराल पहुंचीं रेखा तो सास ने मारने के लिए उठी ली थी चप्पल! जानें फिर क्या हुआ

Rekha Vinod Mehra Relationship: सास-बहू की किचकिच आपको अपने पास-पड़ोस में अक्सर देखने को मिल ही जाती होगी, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बॉलीवुड सितारे भी इससे जूझ चुके हैं. दरअसल, ऐसी ही एक घटना से बॉलीवुड की दिग्गज अदाकारा रेखा को रूबरू होना पड़ा था. आइए आपको उस किस्से से रूबरू कराते हैं…

जब विनोद मेहरा संग जुड़ा रेखा का रिश्ता

बॉलीवुड की बेइंतहा खूबसूरत हसीनाओं में से एक रेखा की जिंदगी बेहद उलझी रही. उन्होंने बॉलीवुड के शहंशाह के साथ इश्क का पाठ पढ़ा, लेकिन इसे अंजाम तक नहीं पहुंचा पाईं. इसके बाद मोहब्बत का कलमा पढ़ने के लिए उन्होंने कई दरवाजों पर दस्तक दी, जिसमें उन्हें अक्सर निराशा ही हाथ लगी. हालांकि, एक दफा उनका प्यार परवान चढ़ा और शादी तक जा पहुंचा. यह रिश्ता किसी और के साथ नहीं, बल्कि मशहूर एक्टर विनोद मेहरा के साथ जुड़ा था. रेखा ने उनकी तीसरी पत्नी बनना कबूल किया था, लेकिन यह रिश्ता सिर्फ दो महीने का मेहमान रहा. 

सास ने इस अंदाज में किया ‘स्वागत’

हुआ यूं कि विनोद मेहरा के साथ शादी के बाद रेखा ने तमाम अरमान संजोए, लेकिन उनकी उम्मीदों पर पानी उस वक्त फिर गया, जब वह पहली बार अपनी ससुराल पहुंचीं. ‘बहू हो तो ऐसी’ में अपनी हाजिरजवाबी और बेहतरीन चालों से सास को मात देने रेखा असल जिंदगी में सास के तौर-तरीकों से नहीं निपट पाईं. मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि जब रेखा अपनी ससुराल पहुंचीं तो उन्होंने विनोद मेहरा की मां यानी अपनी सास के पैर छूने की कोशिश की. ऐसा होते ही सास ने रेखा को पीटने के लिए चप्पल उठा ली. दरअसल, अभिनेता की मां को रेखा कतई पसंद नहीं थीं. यह किस्सा यासीर उस्मान की किताब रेखा: एन अनटोल्ड स्टोरी में भी बयां किया गया. 

… और अलग हो गए विनोद और रेखा

रेखा ने भी एक इंटरव्यू में विनोद मेहरा की मां का जिक्र किया था. उन्होंने बताया था, ‘मेरे और विनोद की मां के विचार नहीं मिलते थे. वह मुझे बदनाम अभिनेत्री मानती थीं. विनोद की वजह से मैंने उन्हें बर्दाश्त किया, लेकिन एक दिन मेरे सब्र का बांध टूट गया. मैंने विनोद से प्यार और मां में से किसी एक को चुनने के लिए कहा तो उन्होंने मां को चुन लिया. इसके बाद हम अलग हो गए.’

Danny Denzongpa: जब रोल मांगने पर डैनी को मिला गार्ड की नौकरी का ऑफर, एक्टर ने ऐसे लिया था बदला

Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button