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माहिम के वसूली माफिया पर पुलिस ने दर्ज किया एफआईआर और हुआ वसूली बाज फरार

मुंबई के माहिम पुलिस ठाणे क्षेत्र  मे एक महिला के साथ छेड़छाड़ व धमकाने के मामले मे माहिम के वसूली माफिया पर मुंबई पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है

मिली जानकारी के अनुसार माहिम का वसूली माफिया दैनिक अखबार रोख्ठोक लेखनी मुख्य संपादक व मालिक फैसल रहीम शेख उर्फ वसूली माफिया पर पुलिस ने महिला के साथ छेड़छाड़ करने के मामले में एफआईआर दर्ज कर लिया है. फैसल पर मुंबई पुलिस के रिकॉर्ड में दर्जनों मामले दर्ज है वसूली से लेकर छेड़छाड़ और गरीबो के उपर फ़र्ज़ी मामले दर्ज करवाने का भी आरोप है वही पुलिस ने आरोपी पर भारतीय दंड कानून सहित धारा 354, 506, के तहत मामला दर्ज किया है और सरगर्मी से आरोपी फैसल रहीम शेख को पुलिस तलाश कर रही है और फैसल रहीम शेख के कई ठिकानों पर दबिश भी डाल रही है मामला दर्ज होते ही आरोपी फरार चल रहा है आगे की मामले की जाँच माहिम पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी देख रहे है।

फैसल रहीम शेख पर माहिम पुलिस ठाणे में रंगदारी के कई मामले दर्ज है मगर आज तक महिम पुलिस ठाणे ने इस शिकायतों पर करवाई कियु नही की ये भी एक जांच का विषय है अब देखना ये है के मुंबई पुलिस फैसल रहीम शेख का पिछला रिकॉर्ड निकलती है के नही हमारी जानकारी के मुताबिक फैसल शेख पर माहिम ठाणे में कई NC तहरीर दर्ज है और लिखित शिकायते भी दर्ज है उस के साथ पीछे एसीपी अजितनाथ सातपुते ने फैसल रहीम शेख पर चापटर केस भी दर्ज किया था और कुछ दिन पहले महिम में फैसला रहीम शेख पर माहिम के कारोबारियो ने हफ्ता वसूली के खिकफ तहरीर दी थी

सूत्रों की जानकर के हिसाब से फैसल रहीम शेख एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखता है उस का खुद का घर भी नही है और जिस आफिस में वो बेठता है वी भी भाड़े की है इस के एवज में फैसल शेख को भाड़े के रूप में मोटी रकाम चुकानी पड़ती है इस लिए फैसल रहीम शेख माहिम में फेरी वालो से लेकर नाश बेच रहे कारोबारियो से मटके सट्टे के कारोबारियो से गैर कानूनी तरीके से फिरौती वसूल करता है इस फैसल शेख की महिम इलाके में दहशत है ये जिस पर चाहे फ़र्ज़ी केस दर्ज कारा देता है और अपने पेपर के माध्यम से डरता है के में तुम लोगो का फोटो पेपर में डाल दूंगा।

Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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