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पीएलआई स्कीम के तहत आईटी हार्डवेयर के लिए एप्लीकेशन की तारीख सरकार ने बढ़ाई, जानें नई डेडलाइन

आईटी हार्डवेयर (IT hardware) के लिए पीएलआई स्कीम 2.0 (PLI scheme 2.0) के तहत अप्लाई करने की आखिरी तारीख को केंद्र सरकार ने आगे बढ़ाते हुए अब 30 अगस्त 2023 तक के लिए आगे बढ़ा दी है. आईएएनएस की खबर के मुताबिक, आईटी हार्डवेयर (IT hardware) के लिए पीएलआई स्कीम 2.0 को 17,000 करोड़ रुपये के बजटीय परिव्यय के साथ 29 मई को नोटिफाई किया गया था.

लंबी अवधि के लिए परमिशन 

खबर के मुताबिक, सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का कहना है कि पीएलआई स्कीम 2.0 के तहत कम्पोनेंट्स और सब-असेंबलीज के लोकलाइजेशन को प्रमोट करने और देशभर में सप्लाई चेन को डेवलप करने के लिए लंबी अवधि के लिए परमिशन देकर मैनुफैक्चरिंग इकोसिस्टम को व्यापक और गहरा बनाने की उम्मीद है. आपको बता दें, पीएलआई योजना 2.0 (PLI scheme 2.0) के तहत सेमीकंडक्टर डिजाइन, आईसी विनिर्माण और पैकेजिंग भी शामिल है.

इकोसिस्टम सिस्टम को मजबूत किया जाएगा

इलेक्ट्रॉ़निक्स और आईटी राज्य मंत्री, राजीव चंद्रशेखर (Rajeev Chandrasekhar) ने डिजिटल इंडिया डायलॉग्स के दौरान कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के मुताबिक, हम भारत के कम्पोनेंट्स और सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम सिस्टम को मजबूत करने में सक्षम बनना चाहते हैं. आईटी हार्डवेयर पीएलआई स्कीम को इस बार इंडस्ट़्री के इनपुट के साथ सावधानीपूर्वक डिजाइन किया गया है.

75,000 प्रत्यक्ष नौकरियां पैदा होने की उम्मीद 

सरकार का अनुमान है कि पीएलआई 2.0 से 2 लाख से ज्यादा अप्रत्यक्ष नौकरियों के साथ 75,000 प्रत्यक्ष नौकरियां पैदा होने की उम्मीद है, जिससे इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर काफी बढ़ जाएंगे. लैपटॉप, टैबलेट, ऑल-इन-वन पीसी, सर्वर और अल्ट्रा स्मॉल फॉर्म फैक्टर डिवाइस शामिल हैं. 2,430 करोड़ रुपये के निवेश के साथ, इस योजना का टारगेट 3,35,000 करोड़ रुपये का इंक्रीमेंटल प्रोडक्शन जेनरेट करना है. 

Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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