भारत

पाकिस्तान से सिद्धू मूसेवाला का एक डोपेलगैंगर सोशल मीडिया पर दिखाई देता है, जिसमें दावा किया गया है कि दिवंगत गायक ने उन्हें बधाई दी थी।

तेजतर्रार पंजाबी गायक और राजनेता सिद्धू मूसेवाला के निधन को दस दिन से अधिक समय हो गया है। गायक की मृत्यु ने संगीत व्यवसाय में एक महत्वपूर्ण छेद छोड़ दिया है। सिद्धू का जोशीला संगीत राष्ट्रीय सीमाओं तक सीमित नहीं था; बल्कि, अंतरराष्ट्रीय देशों, विशेष रूप से पाकिस्तान में उनकी फैन फॉलोइंग एक तरह की थी। पाकिस्तान में रहने वाले सिद्धू के डोपेलगैंगर के वीडियो सोशल मीडिया पर शोक की लहरों के बीच घूम रहे हैं।

shidhu before dath

एक पाकिस्तानी प्रसारक के अनुसार, वह व्यक्ति दिवंगत कलाकार का बहुत बड़ा प्रशंसक होने का दावा करता है और मानता है कि सिद्धू ने उसके वीडियो देखे और उसे सूचित किया कि वह जल्द ही उससे संपर्क करेगा।

पाकिस्तानी टिक्कॉक कलाकार के अनुसार, उनका दावा है कि जी वैगन गाने के बाद से सिद्धू के करियर का अनुसरण कर रहे हैं। क्योंकि उनके पास पहले से ही सिद्धू का शरीर था, उनके दोस्तों ने मांग की कि वह एक गायक की तरह दिखने के लिए पगड़ी पहनें।

उनका यह भी दावा है कि उन्होंने पहले सिद्धू की हत्या की खबर को स्वीकार नहीं किया। जब तक उन्हें भारत में फोन पर पुष्टि नहीं मिली, तब तक उन्हें पता नहीं चला कि उनके आइकन की मृत्यु हो गई है।

shidhu moose bala

उन्होंने शोक संतप्त परिवार को सलाह दी कि वे यह कभी न भूलें कि उनका भाई सिद्धू पाकिस्तान में है।

इस पाकिस्तानी टिकटॉक सनसनी के कई वायरल वीडियो के मद्देनजर, सिद्धू के भारतीय प्रशंसक उनसे भारत आने और दिवंगत गायक के माता-पिता से मिलने की गुहार लगा रहे हैं ताकि उनकी पीड़ा को कम किया जा सके।

Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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