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एक्ट्रेस नहीं बल्कि डॉक्टर बनना चाहती थीं आम्रपाली दुबे

भोजपुरी इंडस्ट्री की पॉपुलर एक्ट्रेस आम्रपाली दुबे आज अपना जन्मदिन मना रही हैं। इस खास मौके पर फैंस समेत भोजपुरी के कई स्टार्स उन्हें विश कर रहे हैं। भोजपुरी एक्ट्रेस आम्रपाली दुबे ने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से इंडस्ट्री में अलग पहचान बनाई है। एक्ट्रेस आम्रपाली दुबे ने एक से बढ़कर एक सुपरहिट फिल्मों में काम किया हैं। बता दें कि आम्रपाली दुबे शुरू से ही एक्ट्रेस नहीं बनना चाहती थीं। उनका सपना था कि वो एक डॉक्टर बनकर सभी लोगों का इलाज करें। तो आज हम आपको बॉलीवुड लाइफ की खास रिपोर्ट में ये बताएंगे कि आम्रपाली दुबे कैसे भोजपुरी की स्टार एक्ट्रेस बन गईं।

ऐसे भोजपुरी की क्वीन बनीं आम्रपाली दुबे

भोजपुरी की क्वीन आम्रपाली दुबे 11 जनवरी को अपना बर्थडे मनाती हैं। 1989 में आम्रपाली दुबे का जन्म गोरखपुर में हुआ था। एक्ट्रेस ने पढ़ाई मुंबई के भवन कॉलेज से ग्रेजुएश की है। बता दें कि आम्रपाली दुबे चाहती थी कि वो डॉक्टर बने। हालांकि वो पढ़ने में कुछ खास नहीं थी। इसलिए उनका ये सपना पूरा हो गया। हालांकि किस्मत और मेहनत ने उन्हें आज भोजपुरी की स्टार एक्ट्रेस बना दिया है। भोजपुरी एक्ट्रेस आम्रपाली दुबे की हर अदा पर लाखों फैंस अपनी जान छिड़कते हैं। Also Read – निरहुआ संग फिर जमी आम्रपाली दुबे की जोड़ी, रोमांटिक डांस से मचाया तहलका

चर्चा में रहती हैं आम्रपाली दुबे

बताते चलें कि भोजपुरी की क्वीन आम्रपाली दुबे अपनी पर्सनल लाइफ की वजह से चर्चा में बनी रहती हैं। एक्ट्रेस की उम्र 37 साल हो गई हैं लेकिन फिर भी उन्होंने शादी नहीं की है। रिपोर्ट्स की मानें तो आम्रपाली दुबे भोजपुरी एक्टर और सांसद दिनेश लाल यादव को डेट कर रही हैं। हालांकि इन दोनों ने कई बार ये कहा है कि वे बस अच्छे दोस्त हैं। मालूम हो कि भोजपुरी एक्ट्रेस आम्रपाली दुबे सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं और वो अक्सर अपने फैंस के साथ तस्वीरें और वीडियोज शेयर करती रहती हैं। Also Read – दादी की मौत पर आम्रपाली दुबे का छल्का दर्द, भोजपुरी एक्ट्रेस का पोस्ट देख भावुक हुए लोग

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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