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फ्री में चलेगा ChatGPT वॉइस चैट फीचर, बस फॉलो करने होंगे ये स्टेप्स

ChatGPT voice chat feature : चैटजीपीटी के आने के बाद इंटरनेट पर सर्च करने के तरीकों में बड़ा बदलाव आया है. चैटजीपीटी को ओपएआई ने डेवलप किया है और इसके जरिए भाषाओं का अनुवाद तो किया जा सकता है. साथ में विभिन्न टॉपिक पर सर्च भी किया जा सकता है, जो आपकी भाषा में उत्तर देता है. वहीं चैटजीपीटी ने हाल ही में वॉइस चैट फीचर रोल आउट किया था, जिसके लिए आपको प्रीमियम यूजर होना होता है, लेकिन यहां हम आपको इसका फ्री में यूज करने की ट्रिक बता रहे हैं. जिसको फॉलो करके आप चैटजीपीटी के वॉइस फीचर का फायदा उठा सकते हैं.

Mobile App पर उपलब्ध

ChatGPT Voice Chat का उपयोग करने के लिए, आपको ChatGPT मोबाइल ऐप की आवश्यकता है. यह ऐप Google Play और App Store पर उपलब्ध है. यदि आपके पास Android स्मार्टफोन है, तो Google Play से ऐप डाउनलोड करें. यदि आपके पास iPhone है, तो App Store से ऐप डाउनलोड करें.

Free में कैसे चलाएं ChatGPT Voice Chat Feature?

  • अपने डिवाइस पर चैटजीपीटी ऐप डाउनलोड और इंस्टॉल करें. यदि आप पहले से ही यूजर हैं, तो सुनिश्चित करें कि आपके पास लेटेस्ट वर्जन है.
  •  अपने अकाउंट में लॉग इन करें. यदि आपके पास कोई अकाउंट नहीं है, तो एक नया खाता बनाएं.
  •  वॉइस चैट इनेबल करें. चैट बॉक्स के दाईं ओर हेडफोन आइकन पर टैप करें. फिर, ऑन-स्क्रीन निर्देशों का पालन करें.
  •  आवाज से बातचीत शुरू करें. एक बार जब आपका वॉइस चैट सक्षम हो जाए, तो फिर से हेडफोन आइकन पर टैप करें और अपनी आवाज का उपयोग करके चैटजीपीटी के साथ बातचीत शुरू करें.

ChatGPT Voice Chat के प्रमुख फीचर्स

हैंड्स-फ्री कम्यूनिकेशन: अपने हाथों को मुक्त रखें और अपनी आवाज का उपयोग करके चैटजीपीटी के साथ बातचीत करें.
वॉयस बेस्ड कंवरसेशन: चैटजीपीटी आपके भाषण को प्राकृतिक तरीके से समझता है और जवाब देता है.
लेंगुएज ऑटो डिटेक्शन: चैटजीपीटी आपके भाषण की भाषा को स्वचालित रूप से पहचानता है, भले ही आप किसी अन्य भाषा में बात कर रहे हों.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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