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Twitter पर वापस पाना चाहते हैं खोया हुआ ब्लू टिक तो ट्राई करें ये ट्रिक

Twitter legacy checkmark Back: एलन मस्क की कंपनी ट्विटर ने पिछले महीने इस बात का ऐलान किया था कि 1 अप्रैल के बाद से सभी के अकाउंट से लिगेसी चेकमार्क हट जाएगा. यानि फ्री वाला ब्लू टिक अकाउंट से गायब हो जाएगा. शुरुआत में ऐसा नहीं हुआ लेकिन 20 अप्रैल के बाद कंपनी ने इसपर काम किया और सभी लिगेसी चेकमार्क को प्लेटफार्म से हटा दिया. इसमें दुनियाभर के दिग्गजों सहित कई लोगों का ब्लू टिक छिन गया था. अगर आपका भी ब्लू टिक इस दौरान चला गया है और आप इसे वापस पाना चाहते हैं तो हम आपको एक काम की ट्रिक बता रहे हैं.

इस तरह वापस पा सकते हैं ब्लू टिक 

ट्विटर पर ब्लू टिक वापस पाने के लिए सबसे पहले आपको मोबाइल या वेब पर अकाउंट को खोलना है और प्रोफाइल सेक्शन में आना है. इसके बाद एडिट प्रोफाइल में आकर कुछ भी ‘Bio’ सेक्शन में एडऑन करना है. जैसे आप लिख सकते है -फॉर्मर ब्लू टिक होल्डर आदि. इसे सेव करते ही आपको अकाउंट पर ब्लू टिक दिखने लगेगा. ध्यान दें, ब्लू टिक केवल आपको ही दिखेगा और ये केवल तबतक रहेगा जबतक आप पेज को रिफ्रेश नहीं करते या ऐप से बाहर नहीं आ जाते. दरअसल, ये ट्विटर के कोड में मौजूद बग की वजह से हो रहा है और कई लोगों ने ऐसे ब्लू टिक प्राप्त कर उसका स्क्रीनशॉट अपने दोस्तों के साथ शेयर किया है. अगर आप पेज को रिफ्रेश कर देंगे तो अकाउंट से ब्लू टिक हट जाएगा. 

ट्विटर के लिए अब नोटेबल होना मायने नहीं रखता 

ट्विटर पर अब ब्लू टिक पाने के लिए आपका नोटेबल होना मायने नहीं रखता है. चाहें आप एक आम इंसान हों या कोई सेलेब्रटी, आपको ब्लू टिक तभी मिलेगा जब आप ट्वीटर ब्लू का सब्सक्रिप्शन खरीदेंगे. भारत में ट्विटर ब्लू के लिए वेब यूजर्स को 650 रुपये और IOS और एंड्रॉइड यूजर्स को 900 रुपये का भुगतान कंपनी को हर महीने करना होता है. ट्विटर ब्लू में आम यूजर के मुकाबले लोगों को ट्वीट को अनडू, एडिट, बुकमार्क ट्वीट्स, एचडी वीडियो अपलोड, टेक्स्ट मैसेज बेस्ड 2FA आदि की सुविधा मिलती है.  

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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