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श्रीदेवी के निधन से पहले जाह्नवी कपूर ने मां से कह थे ये आखिरी शब्द, पढ़कर रो देंगे आप

Janhvi Kapoor On Sridevi Death : देश की पहली लेडी सुपरस्टार श्रीदेवी निधन के बाद भी अपने फैंस के दिलों पर राज करती हैं. श्रीदेवी की आखिरी फिल्म मॉम 6 साल पहले आज ही के दिन रिलीज हुई थी. ऐसे में फिल्म प्रोड्यूसर और पति बोनी कपूर ने श्रीदेवी को इस खास दिन पर याद किया. वहीं बेटी जाह्नवी कपूर ने भी अपनी मॉम को उनकी फिल्म मॉम का पोस्टर शेयर कर याद किया. जाह्नवी कपूर आज भी उस खौफनाक दिन को नहीं भूली हैं जब उन्हें ये पता चला था कि अब उनकी मॉम इस दुनिया में नहीं रहीं.

 श्रीदेवी की मौत से पहले जाह्नवी कपूर संग हुई थी ये बात

जाह्नवी कपूर ने बताया था कि उनकी मॉम जब दुबई जा रही थीं उस वक्त उनकी बात उनकी मॉम से हुई थी. जाह्नवी कपूर ने बताया था कि उस वक्त वह अपनी फिल्म ‘धड़क’ की शूटिंग में काफी बिजी थीं ऐसे में उन्हें काम की वजह से मॉम संग टाइम स्पेंड करने का कम मौका मिल रहा था.

श्रीदेवी की बेटी ने बताया था कि एक रात पहले जाह्नवी अपनी मॉम के पास उनके कमरे में गई थीं. उस वक्त श्रीदेवी काफी बिजी थीं क्योंकि वो मोहित मारवाह की शादी में जाने की पैकिंग कर रही थीं. ऐसे में जाह्नवी कपूर ने जब देखा कि उनकी मॉम बिजी हैं तो वो अपने कमरे में चली गईं. 

एक इंटरव्यू के दौरान एक्ट्रेस ने कहा था- ‘मॉम के दुबई जाने से एक रात पहले मैं अपने कमरे में थी. तभी मैं अपनी मॉम के पास गई, क्योंकि मुझे नींद नहीं आ रही थी, तो सोचा कि मैं उनसे थोड़ी बात कर लूं. जब मैं रूम में गई तो मॉम बिजी थीं. वे शादी में जाने के लिए पैकिंग कर रही थीं. मुझे भी शूटिंग पर जाना था. मैने उनसे कहा कि आप आकर मुझे सुला दो, लेकिन वो पैकिंग कर रही थी. फिर जब वो आईं तब तक मैं आधी सो चुकी थी. लेकिन मैं महसूस कर सकती थी कि वो मेरा सिर थपथपा रही हैं.’

खुद को अकेला महसूस कर रही थीं जाह्नवी कपूर!
वोग के मुताबिक जाह्नवी कपूर ने बताया था कि ‘उस रात को जब मॉम का सारा काम खत्म हो गया तो वे मेरे पास कमरे में आई थीं. इसके बाद मॉम ने प्यार से मेरा माथा चूमा था और मेरे सिर पर थपकी दी थी.’ जाह्नवी कपूर के लिए यही श्रीदेवी की आखिरी याद बनकर रह गया. श्रीदेवी की मौत के बाद जाह्नवी कपूर को अकेलापन महसूस होने लगा था.

जाह्नवी कपूर ने बताया कि उनकी मॉम की मौत के बाद पूरा परिवार एक हुआ. हालांकि उस वक्त तक वे अकेला फील कर रही थीं. पर परिवार की एकजुटता के बाद उन्हें सेफ  फील होने लगा. उन्होंने कहा था कि ‘हम मां को खो चुके थे इस नुकसान की कोई भरपाई हो ही नहीं सकती.’

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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