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Arun Govil Injured : टीवी के पॉपुलर पौराणिक शो ‘रामायण’ में भगवान राम का किरदार निभाकर घर-घर में मशहूर हुए एक्टर अरुण गोविल (Arun Govil) चोटिल हो गए हैं। दरअसल, अरुण गोविल अपनी आने वाली फिल्म ‘नोटिस’ (Notice) की शूटिंग कर रहे थे। फिल्म के आखिरी शेड्यूल के दौरान सेट पर घायल हो गए हैं। अरुण गोविल ने अपनी दर्द की परवाह ना करते हुए अपने हिस्से की शूटिंग को पूरा किया ताकि शेड्यूल में कोई गड़बड़ी ना हो। अरुण गोविल के साथ फिल्म ‘नोटिस’ में दीपिका चिखलिया भी नजर आने वाली हैं। बताते चलें कि ‘रामायण’ में दीपिका चिखलिया ने माता सीता का रोल किया था।

फिल्म के एक सीन में अरुण गोविल को जीप से लगी टक्कर

एंटरटेनमेंट (Entertainment News) इंडस्ट्री के बड़े एक्टर अरुण गोविल आदित्य प्रताप रघुवंशी की फिल्म नोटिस में काम कर रहे हैं। इस फिल्म के आखिरी शेड्यूल की शूटिंग के दौरान अरुण गोविल घायल हो गए हैं। बताया जा रहा है कि चित्रकूट में शूटिंग सेट पर अरुण गोविल घायल हो गए हैं। आदित्य प्रताप रघुवंशी ने बताया है कि फिल्म के एक सीन के दौरान अरुण गोविल को पुलिस हिरासत में लेने वाली है और इसी दौरान पुलिस जीप के रिवर्स लेते समय उनकी कोहनी में काफी तेज चोट लगी। अरुण गोविल पुलिस जीप के पास खड़े थे और उनको टक्कर लग गई। अरुण गोविल के चोट लगने से सेट पर मौजूद पूरा क्रू घबरा गया। हालांकि, अरुण गोविल ने दर्द की परवाह ना करते हुए टीम को शूटिंग जारी रखने के लिए कहा।

अरुण गोविल की मेकर्स ने की तारीफ

फिल्ममेकर आदित्य प्रताप रघुवंशी ने फिल्म की शूटिंग के दौरान अरुण गोविल के व्यवहार के बारे में बात करते हुए कहा कि वह बहुत ही मिलनसार और दयालु व्यक्ति हैं। अरुण गोविल की फिल्म ‘नोटिस’ का डायरेक्शन प्रदीप गुप्ता कर रहे हैं। ये फिल्म समाज में रहने वाले लोगों को मैसेज देती नजर आएगी। अरुण गोविल की फिल्म ‘नोटिस’ 2024 की शुरुआत में सिनेमाघरों में रिलीज होगी। इस फिल्म में एक बार फिर अरुण गोविल और दीपिका चिखलिया को साथ देखने का मौका मिलेगा। गौरतलब है कि रामानंद सागर की ‘रामायण’ में अरुण गोविल ने भगवान राम का और दीपिका चिखलिया ने माता सीता का रोल किया था। इस पौराणिक शो को लोगों ने खूब पसंद किया था।

Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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