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OpenAI ने लॉन्च किया ChatGPT स्टोर, खुद का चैटबॉट बनाकर कमा सकते हैं पैसा

ओपन एआई ने चैट जीपीटी स्टोर लाइव कर दिया है. हालांकि इसे सभी एक्सेस नहीं कर सकते. चैट जीपीटी स्टोर को यूज करने के लिए आपको चैट जीपीटी प्लस या चैट जीपीटी टीम, जो एक नया प्लान है, उसका सब्सक्रिप्शन लेना होगा. चैट जीपीटी स्टोर एक तरह से गूगल प्लेस्टोर और एप्पल के ऐपस्टोर की तरह है जहां आपको अलग-अलग ऐप्स अलग-अलग कामों के लिए मिलेंगे. फिलहाल चैट जीपीटी स्टोर में फ्री में यूज करने के लिए ट्रेल रिकमेंडेर Alltrails की तरफ से, खान अकेडमी की तरफ से कोड ट्यूटर और canva की ओर से एक कंटेंट डिजाइनर उपलब्ध है. आने वाले समय में और GPTs इसमें ऐड होंगे.

GPTs स्टोर पर मौजूद ऐप्स ओपन एआई के टेक्स्ट बेस्ड GPT-4 और इमेज जनरेटिंग मॉडल DALL-E 3 पर बेस्ड हैं. आप पॉपुलर GPTs को कम्यूनिटी लीडर बोर्ड पर एक्सेस कर सकते हैं, जिन्हें लाइफस्टाइल, राइटिंग, रिसर्च आदि कैटेगरी के हिसाब से लिस्ट किया गया है. ओपन एआई जल्द GPTs को मोनेटाइज करने का प्लान भी लाने वाली है. इसके बाद पॉपुलर क्रिएटर्स के साथ कंपनी रेवेन्यू शेयर करेगी. 

खुद का GPT बनाना है एकदम आसान

खुद का GPT बनाने के लिए आपको कोडिंग आदि की जरूरत नहीं है. इसे एक सामान्य व्यक्ति भी बना सकता है. इसके लिए आपको ओपन एआई के GPT बिल्डर टूल का इस्तेमाल करना है और उसे आसान भाषा में बताना है कि आपको कैसा ऐप चाहिए, जैसे डिजाइनिंग के लिए, कुकिंग में मदद के लिए आदि कुछ भी. जीपीटी बिल्डर तुरंत आपके लिए एक AI पॉवर्ड चैटबॉट तैयार कर देगा.

अपने GPTs को ओपन एआई के स्टोर पर सबमिट करने के लिए डेवलपर्स को अपने यूजर प्रोफाइल को सत्यापित करना होगा और अपने जीपीटी को ओपनएआई के नए रीव्यू सिस्टम में जमा करना होगा जिसमें मानव और स्वचालित रीव्यू का मिश्रण शामिल है ताकि ये चेक किया जा सके कि GPT कंपनी के सभी नियमों को फॉलो करता है या नहीं. ध्यान दें, GPTs के अंदर का सारा डेटा एकदम सेफ रहने वाला है और इसे क्रिएटर्स एक्सेस नहीं कर पाएंगे. यानि कोई यूजर्स क्या कुछ GPTs के अंदर सर्च आदि कर रहा है ये डेवलपर्स को पता नहीं लगेगा, साथ ही यूजर्स का डेटा भी एकदम सेफ रहेगा.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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