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एंड्रॉयड यूजर्स के लिए बुरी खबर! 24 अक्टूबर के बाद इन फोन में नहीं चलेगा WhatsApp

WhatsApp : वॉट्सऐप इंस्टेंट मैसेजिंग प्लेटफॉर्म में सबसे पॉपुलर ऐप है. आज के समय में ऑफिस, घर और स्कूल के कामों के लिए इसका यूज धड़ल्ले से हो रहा है, लेकिन इस सबके बीच एक खबर आ रही है, जिसके अनुसार कुछ स्मार्टफोन में 24 अक्टूबर के बाद वॉट्एसऐप का सपोर्ट नहीं करेगा. अगर आपके पास भी ऐसा ही कोई मोबाइल है, तो आने वाले दिनों में आपको मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 24 अक्टूबर के बाद वॉट्सऐप पुरान एंड्रॉयड और iOS वर्जन को सपोर्ट नहीं करेगा. इसीलिए हम आपके लिए उन पुराने फोन्स की लिस्ट लेकर आए हैं, जिसको जानकार आप अपना पुराना फोन बदल सकते हैं और वॉट्सऐप को 24 अक्टूबर के बाद भी यूज कर सकते हैं. 

इन फोन में नहीं करेगा वॉट्सऐप सपोर्ट

रिपोर्ट की मानें, तो एंड्रॉयड OS के 4.1 वर्जन में वॉट्सऐप का सपोर्ट बंद हो जाएगा. इस लिस्ट में सैमसंग गैलेक्सी नोट 2 समेत कुल 16 फोन शामिल है. अगर आपने भी अपने पुराने फोन को अपडेट नहीं किया है, तो आप वॉट्सऐप का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे.
 
बता दें कि WhatsApp की तरफ से सिक्योरिटी और सेफ्टी के मद्देनजर नए अपडेट जारी किए जाते हैं. साथ ही पुराने एंड्रॉइड और iOS डिवाइस का सपोर्ट बंद कर दिया जाता है. ऐसे में इस बार वॉट्सऐप की तरफ से एंड्रॉयड ओएस वर्जन 4.1 और उससे पुराने वर्जन के लिए Whatsapp सपोर्ट बंद कर दिया गया है.

इन स्मार्टफोन में नहीं चलेगा Whatsapp

सैमसंग गैलेक्सी नोट 2
एचटीसी वन
सैमसंग गैलेक्सी एस2
एचटीसी डिज़ायर एचडी
सैमसंग गैलेक्सी नेक्सस
एचटीसी सेंसेशन
सैमसंग गैलेक्सी टैब 10.1
एलजी ऑप्टिमस 2X
नेक्सस 7 (एंड्रॉइड 4.2 पर अपग्रेड करने योग्य)
एलजी ऑप्टिमस जी प्रो
एचटीसी वन
सोनी एक्सपीरिया ज़ेड
मोटोरोला ज़ूम
सोनी एक्सपीरिया एस2
मोटोरोला ड्रॉयड रेज़र
सोनी एरिक्सन एक्सपीरिया आर्क3

अगर आपके पास कोई डिवाइस है, और आप WhatsApp का इस्तेमाल जारी रखना चाहते हैं, तो आपको एंड्रॉइड ओएस वर्जन 5.0 या नए आईओएस 12 और नए पर चलने वाले आईफोन और काईओएस 2.5.0 में अपग्रेड करना होगा.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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