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ईमेल हाईजैकिंग को रोकने के लिए गूगल ने Gmail सेटिंग में जोड़ा एक्स्ट्रा वेरिफिकेशन

Google Adds extra verification for Gmail: गूगल ने इस बात की घोषणा की है कि कंपनी जीमेल की कुछ सेंसटिव सेटिंग में एक्स्ट्रा वेरिफिकेशन स्टेप जोड़ेगी ताकि ईमेल हाईजैकिंग को कम किया जा सके. अब आपको जीमेल में किसी फ़िल्टर को एडिट करने या एड्रेस को जोड़ने के लिए वेरिफिकेशन की जरूरत पड़ेगी. कंपनी ने एक ब्लॉगपोस्ट में कहा कि पिछले साल हमने Google Workspace खातों की संवेदनशील कार्रवाइयों के लिए मजबूत सुरक्षा उपाय पेश किया था. अब हम इसे जीमेल की सेंसटिव सेटिंग के साथ जोड़ रहे हैं ताकि जब भी इसे कोई एक्सेस करें तो वह खुद को वेरीफाई करे. 

ब्लॉस्पॉट के अनुसार, एक्स्ट्रा वेरिफिकेशन की जरूरत इन चीजों के लिए पड़ेगी. 

सबसे पहले यदि आप एक नया फ़िल्टर बनाते हैं या मौजूदा फ़िल्टर को एडिट या फ़िल्टर को इम्पोर्ट करते हैं तो इसके लिए आपको खुद को वेरीफाई करना होगा. इसके अलावा यदि आप फॉरवार्डिंग और POP/IMAP सेटिंग में नया एड्रेस जोड़ते हैं तो इसके लिए भी आपको वेरीफाई करना होगा. साथ ही आईएमएपी एक्सेस की सेटिंग को बदलने के लिए भी आपको पासवर्ड की जरूरत पड़ेगी.

यदि गूगल को कोई जोखिम भरा एक्शन जीमेल अकाउंट में महसूस होता है तो कंपनी वेरिफिकेशन के लिए कहेगी. यदि वेरिफिकेशन फेल हो जाता है तो इसकी जानकारी आपको एक मेल के माध्यम से मिल जाएगी. एक्स्ट्रा वेरिफिकेशन सभी Google Workspace ग्राहकों और व्यक्तिगत Google खाते वाले लोगों के लिए उपलब्ध होगी. हालांकि ये सुविधा केवल उन यूजर्स के लिए होगी जो Google को अपने पहचान प्रदाता के रूप में उपयोग करते हैं और Google प्रोडक्ट्स के भीतर की जाने वाली कार्रवाइयों का समर्थन करते हैं. इसका मतलब ये है कि जो यूजर्स थर्ड-पार्टी प्रोवाइडर्स के साथ साइन इन करते हैं या बाहरी ईमेल क्लाइंट का उपयोग करते हैं, उन्हें इस सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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