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आलीशान घर, महंगी कारें और बेशुमार दौलत, जानिए करण जौहर की संपत्ति कितनी है 

Net Worth Of Karan Johar: करण जौहर बॉलीवुड के बेहतरीन फिल्म मेकर्स में से एक हैं. फिल्मों के अलावा वो कई अन्य चीजों में भी एक्टिव रहते हैं. उन्हें बॉलीवुड की सबसे महंगी फिल्में बनाने और कई सुपरस्टार्स को कौलेब करके एक साथ लाने के लिए भी जाना जाता है. करण के पिता यश जौहर भी एक बेहतरीन फिल्ममेकर थे. करण ने अपने पिता यश की विरासत को न सिर्फ संभाला है बल्कि अपार सफलता भी हासिल की. अब करण एक बड़ी संपत्ति के मालिक हैं. उनके पास लग्जरी कारों से लेकर वो हर चीज है जो एक बेहतरीन लाइफ का एहसास कराती है.

करण जौहर की नेटवर्थ
करण जौहर की नेटवर्थ की बात करें तो द फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक वो 1740 करोड़ की संपत्ति के मालिक हैं. उनकी मोटी कमाई फिल्म प्रोडक्शन कंपनी धर्मा प्रोडक्शन से होती है. वहीं इसके अलावा वो अन्य प्रोडक्शन हाउसेस में भी पैसे इंवेस्ट करते हैं. इसके अलावा करण शो होस्टिंग के लिए भी जाने जाते हैं. इससे भी उनकी अच्छी खासी कमाई हो जाती है.


क्या है करण जौहर के घर की कीमत
करण जौहर के पास आलीशान प्रॉपर्टी है. मुंबई के कार्टर रोड पर स्थित उनके बंगले की कीमत ही करोड़ों में है. इस घर को करण ने साल 2010 में 32 करोड़ की कीमत में खरीदा था. इस बंगले से समंदर का बेहतरीन नजारा दिखता है. वहीं उनके पास मालाबार हिल्स में भी एक बहुत शानदार घर है. रिपोर्ट्स की मानें तो इस घर की कीमत 20 करोड़ रुपए है.

लग्जरी कारों के शौकीन
करण जौहर लग्जरी कारों के भी बहुत शौकीन हैं. उनके पास बीएमडब्ल्यू 745, बीएमडब्ल्यू 760, मर्सिडीज एस क्लास के साथ कई और बेहतरीन कारें हैं. उनकी कारों की कीमत ही करोड़ों में है.

रॉकी और रानी की प्रेम कहानी से कर रहे कमबैक
करण जौहर के वर्कफ्रंट की बात करें तो वो फिल्म ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ से डायरेक्टर के तौर पर कमबैक करने जा रहे हैं. इस फिल्म में रणबीर सिंह और आलिया भट्ट लीड रोल प्ले करते नजर आएंगे. वहीं ये फिल्म 28 जुलाई से बड़े पर्दे पर देखने को मिलेगी.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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