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इंस्टाग्राम Notes में जुड़ने वाला है यह खास फीचर, लिखकर नहीं… इस तरह कह सकेंगे अपनी बात

Instagram Notes : इंस्टाग्राम अपने प्लेटफार्म पर यूजर्स को कंटेंट को फोटो, लॉन्ग विडियो, शॉर्ट विडियो और टैक्स के रूप में रील, नाइट्स या स्टोरी के रूप में साझा करने की सुविधा देता है. इंस्टाग्राम ने हाल ही में, एक नोट्स फीचर पेश किया था. इस फीचर के जरिए यूजर्स टेक्स्ट की फॉर्म में अपनी बात कह सकते हैं. खास बात यह है कि नोट्स में कही गई बात को सिर्फ क्लोज फ्रेंड या वे लोग देख सकते हैं, जिन्हें यूजर फॉलो करता है. अब प्लेटफार्म इस फीचर में एक नया फीचर जोड़ने पर काम कर रहा है. खबर में डिटेल पढ़िए. 

नोट्स में शेयर कर सकेंगे म्यूजिक 

फिलहाल, इंस्टाग्राम यूजर्स को अपने पसंदीदा गाने अपने दोस्तों और फॉलोअर्स के साथ शेयर करने की सुविधा नहीं देता है. हालांकि, अब यह बदलने वाला है क्योंकि Instagram जल्द ही अपने यूजर्स के लिए नया फीचर ला रहा है. मेटा के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट में घोषणा की कि कंपनी ने एक नए फीचर की टेस्टिंग शुरू कर दी है. जो सभी इंस्टाग्राम यूजर्स को प्लेटफॉर्म पर एक नोट में एक गाना शेयर करने की अनुमति देगा. जहां तक उपलब्धता की बात है तो जकरबर्ग ने कहा कि इंस्टाग्राम इन फीचर्स की टेस्टिंग कुछ देशों में कर रहा है. हालांकि, उन्होंने उन देशों के नाम नहीं बताए हैं.

24 घंटे तक दिखाई देते हैं नोट 

इसका मतलब यह है कि अगर आप अपने दस्ते को किसी ऐसे गाने के बारे में बताना चाहते हैं जिसे आप पिछले कुछ दिनों से लूप में सुन रहे हैं, तो आप इसे नोट के रूप में शेयर कर सकेंगे. बता दें कि इंस्टाग्राम ने पिछले साल अपने प्लेटफॉर्म पर नोट्स पेश किए. नोट्स केवल टेक्स्ट और इमोजीस का इस्तेमाल करके 60 वर्णों तक की छोटी पोस्ट हैं. यूजर्स अपने इनबॉक्स के टॉप पर जाकर नोट लिख सकते हैं. इसके साथ ही, यूजर्स उन लोगों का चयन भी कर सकते हैं जिनके साथ वे नोट शेयर करना चाहते हैं. नोट उपयोगकर्ताओं के इनबॉक्स में सबसे ऊपर दिखाई देते हैं और वे वहां 24 घंटे तक रहते हैं. नोट्स के रिप्लाई डीएम के रूप में आते हैं. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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