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Paytm ने लॉन्च किया ‘कार्ड पेमेंट साउंड बॉक्स’, दुकानदारों को अब ऐसे होगा फायदा

Paytm ही वो कंपनी थी जिसने बाजार में पहली बार पेमेंट साउंड बॉक्स को लॉन्च किया था. इसकी देखा-देखी में दूसरी कंपनियों ने भी साउंड बॉक्स लॉन्च किए. इस बीच पेटीएम ने एक नया ‘कार्ड पेमेंट साउंड बॉक्स’ दुकानदारों की समस्या को कम करने के लिए लॉन्च किया है. इसकी मदद से दुकानदार एक ही डिवाइस से कार्ड पेमेंट और अकाउंट में आए पैसो की जानकारी हासिल कर सकते हैं. कंपनी ने कहा कि पेटीएम अपने प्रतिष्ठित साउंडबॉक्स ‘टैप एंड पे’ के माध्यम से व्यापारियों को सभी वीज़ा, मास्टरकार्ड, अमेरिकन एक्सप्रेस और रुपे नेटवर्क पर मोबाइल और कार्ड दोनों से भुगतान स्वीकार करने के लिए सशक्त बनाएगी जिससे व्यापारियों को अपना व्यवसाय बढ़ाने में मदद मिले.

पेटीएम के संस्थापक और सीईओ विजय शेखर शर्मा ने कहा कि आज पेटीएम कार्ड साउंडबॉक्स के साथ, हम इसे अगले स्तर पर ले गए हैं. हमने देखा कि यूजर्स को पेटीएम क्यूआर कोड के साथ मोबाइल भुगतान की तरह ही कार्ड स्वीकृति की भी आवश्यकता है. इसलिए कंपनी ने कार्ड साउंडबॉक्स को लॉन्च किया है जो व्यापारियों की दो आवश्यकताओं – मोबाइल भुगतान और कार्ड भुगतान को विलय करने में काफी मदद करेगा. 

सिर्फ इतने रुपये तक कर पाएंगे कार्ड पेमेंट 

‘टैप एंड पे’ के जरिए दुकानदार केवल 5000 रुपये तक की पेमेंट एक्सेप्ट कर सकते हैं. इस साउंडबॉक्स में कंपनी ने 4 वॉट का स्पीकर दिया है जो एकदम स्पष्टता से पेमेंट की जानकारी देता है. एकबार चार्ज करने पर ये बॉक्स 5 दिन तक चल सकता है. इसमें कंपनी ने 4G कनेक्टिविटी दी है जिससे पेमेंट प्रोसेस एकदम फास्ट हो जाता है.

इसके अलावा, डिवाइस 11 भाषाओं में भी अलर्ट प्रदान करता है जिसे व्यापारी ‘पेटीएम फॉर बिजनेस ऐप’ के माध्यम से बदल सकते हैं. साथ ही, पेटीएम कार्ड साउंडबॉक्स के साथ, एनएफसी-सक्षम स्मार्टफोन वाले यूजर्स टैप सुविधा का उपयोग करके अपने फोन के माध्यम से भी भुगतान कर सकते हैं. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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