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‘हर कोई कमी निकालेगा…’ ‘लापता लेडीज’ की सक्सेज पर बोलीं किरण राव

Kiran Rao Speaks on Laapataa Ladies : आमिर खान और किरण राव इन दिनों दोनों ही अपनी फिल्म ‘लापता लेडीज’ को लेकर काफी डिमांड में हैं. पहले फिल्म के प्रमोशन में बिजी थे. अब हर दिन फिल्म की बढ़ती कमाई के कारण दोनों की तारीफे हो रही हैं. क्या स्टोरी, क्या फिल्म की कहानी, क्या कास्टिंग सब कुछ मिस्टर परफेक्शनिस्ट और उनकी एक्स वाइफ ने परफेक्ट ही किया है. इस फिल्म को देखने के बाग सबसे पहला शब्द हर किसी के मुंह से वाह निकल रहा है और हैंड एक्सप्रैशन है थम्पस अप.

1 मार्च को रिलीज हुई इस फिल्म में भले ही हाईफाई कास्ट न हो लेकिन फिल्म देखने के बाद बड़े पर्दे के सभी सुपरहिट एक्टर्स ने फिल्म की तारीफ पर्सनल रिव्यू में की है. इस लिस्ट में सलमान खान भी शामिल हैं. इस फिल्म को बनाने वाली किरण राव ने हाल ही में फिल्म के साथ साथ इंडस्ट्री में अपने दम पर अपना स्पेस क्रिएट करने को लेकर बात की है. 

इंडस्ट्री में कैसे बनाई जगह

किरण राव ने एचटी स्मार्टकास्ट के सुपर वुमेनिया शो में बताया कि कैसे एक रेगुलर फैमिली से आने के बाद उन्होंने अपनी मेहनत और सूझ- बूझ से इंडस्ट्री में अपना स्पेस क्रिएट किया. किरण ने कहा- ‘एक ऑर्टिस्ट होने के नाते आपको एक प्वाइंट पर ये समझना जरूरी है कि कहीं न कहीं आप अपने काम से लोगों को प्रोवोक करेंगे. लेकिन आपको ये समझना होगा कि यही आपका काम है. इन सब बातों स हटकर आपको सिर्फ पूरा फोकस अपने काम पर रखना है. उन्होंने कहा – ‘मैं एक बहुत आम फैमिली से आती हूं और आमिर खान से शादी के बाद मैं अचानक लाइमलाइट में आ गई. मैं जानती थी कि मीडिया मुझे नहीं जानता है. वो सिर्फ मुझे आमिर खान की पत्नी होने के नाते जानना चाहता है. मुझे कहीं न कहीं ऐसा लग रहा था कि मैं अपनी पहचान खो रही हूं’. 

 

क्यों दूसरी फिल्म बनाने में लगे 11 साल 

इसके साथ ही किरण राव ने वर्किंग और नॉनवर्किंग महिलाओं पर भी फोकस किया. उन्होंने कहा- ‘ हर महिला के लिए अपने काम और अपनी जिम्मेदारी दोनों को एक साथ निभाना मुश्किल होता है. सोसाइटी की एक्सपेक्टेशन्स एक महिला से कुछ ज्यादा ही होती हैं. इन सब के बीच अपने लिए समय निकाल के अपने लिए कुछ करना एक महिला के लिए बहुत मुश्किल है’.

किरण राव ने इसे एग्जामपल के साथ समझाया कि उनको क्यों 2011 मे धोबी घाट बनाने के बाद दूसरी फिल्म बनाने में 10 साल का समय लग गया. उन्होंने कहा- ‘धोबी घाट फिल्म के बाद से ही इस फिल्म की स्क्रिप्ट को लिखना शुरू कर दिया था लेकिन वो अपनी स्क्रिप्ट से खुश नहीं थीं. इसके बाद एक दिन आमिर खान की नजर इस स्क्रिप्ट पर पड़ी और उन्होंने इसे फाइनल किया. इसी के साथ किरण ने बताया कि कैसे उनके पेरेंट्स के स्पोर्ट ने उन्हें बचपन से ही आगे बढ़ना सिखाया. किरण ने बताया कि जामिया में मॉस्टर्स के दौरान उनकी सोच लोगों को लेकर और वाइड होती गई. वो हर चीज को पहले से ज्यादा गहराई से सोचने लगीं’. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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