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Twitter 2.0 बनाना चाहती हैं CEO लिंडा याकारिनो, ज्वाइनिंग से पहले कही ये बातें

Twitter 2.0 : ट्विटर को उसकी नई CEO मिल चुकी हैं. एलन मस्क ने खुद कन्फर्म किया है कि लिंडा याकारिनो ट्विटर की नई सीईओ हैं. नई CEO के बारे में बताते हुए मस्क ने यह भी कहा था कि बिजनेस ऑपरेशन पर फोकस रखेंगी, जबकि प्रोडक्ट डिजाइन और न्यू टेक्नोलॉजी को मस्क ही संभालेंगे. Yaccarino आधिकारिक तौर पर छह सप्ताह के बाद, ट्विटर सीईओ के तौर पर ट्विटर को ज्वाइन करेंगी. अभी लिंडा याकारिनो ने ट्विटर को ज्वाइन भी नहीं किया है, और उन्होंने इसे लेकर एक बड़ा बयान दे दिया है. 

ट्विटर 2.0 बनाएंगी लिंडा याकारिनो?

IANS की रिपोर्ट के अनुसार, अपकमिंग ट्विटर सीईओ, लिंडा याकारिनो ने रविवार को कहा कि वह ट्विटर 2.0 बनाने और मस्क और लाखों प्लेटफ़ॉर्म यूजर्स के साथ मिलकर बिजनेस को बदलने के लिए तैयार हैं. ट्विटर 2.0 शब्द सुनते हैं मन में यही सवाल आ रहे हैं कि क्या आने वाले समय में ट्विटर में और बड़े बदलाव होने वाले हैं? क्या हमें अभी से किसी बड़े बदलाव के लिए तैयार हो जाना चाहिए? इन सवालों के जवाब तो भविष्य में ही मिल पाएंगे लेकिन यह पता जरूर चल रहा है कि लिंडा की प्लानिंग जबरदस्त है. 

लिंडा ने यह भी कहा 

लिंडा याकारिनो ने यह भी कहा, “मैं एक बेहतर भविष्य बनाने के लिए आपकी विजन से लंबे समय से इंस्पायर हूं. मैं ट्विटर बिजनेस को एक साथ ट्रांसफॉर्म करने के लिए एक्साइटेड हूं. मैं इस मंच के भविष्य के लिए सोच रही हूं. मैं सबके लिए यहां हूं. आइए ट्विटर 2.0 को एक साथ बनाएं.”

 

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कई लोग लिंडा याकारिनो के सामने चैलेंज भी रख रहे हैं. लोगों का कहना है कि लिंडा याकारिनो ट्विटर के बारे में सोच रही हैं या यूजर एक्सपीरियंस को बेहतर बनाने के बारे में? वाकई आने वाला समय लिंडा याकारिनो के लिए काफी चुनौतीपूर्ण होने वाला है. सभी यह देखने के लिए एक्साइटेड हैं कि लिंडा याकारिनो कैसे ट्विटर को संभालेंगी. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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