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गूगल पर भी छाया चुनाव का खुमार, पहले चरण के मतदान से पहले बदला डूडल

Google Celebrate Lok Sabha Elections 2024: भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है. देश में आज 19 अप्रैल को लोकसभा चुनाव 2024 के लिए पहले चरण का मतदान हो रहा है. देश में इस बार 18 वीं लोकसभा के लिए चुनाव हो रहे हैं. इस लोकतांत्रिक त्योहार का जश्न गूगल भी मना रहा है. गूगल ने भारत में मतदान को दिखाते हुए वोटिंग साइन के साथ डूडल में बदलाव किया है. गूगल का ये डूडल लोगों को वोट देने के लिए उत्साहित करने वाला है.

Google का नया Doodle

भारत में लोकसभा इलेक्शन 2024 को देखते हुए गूगल ने डूडल को बदल दिया है. गूगल ने अपने डूडल में वोट देने के बाद हाथ पर लगने वाली स्याही को दिखाया है. गूगल का ये डूडल लोगों को मतदान केंद्र पर जाकर वोट देने के लिए प्रेरित कर रहा है. गूगल समय-समय पर दुनिया में हो रही घटनाओं से संबंधित बातों पर अपने डूडल को चेंज करता रहता है. अलग-अलग अवसरों पर लोग गूगल के इस बदले हुए डूडल को जानने के लिए एक्साइटेड रहते हैं. गूगल के होम पेज पर आप इस बदले हुए डूडल को देख सकते हैं.

भारत में लोकसभा चुनाव 2024

आज 19 अप्रैल, शुक्रवार से देश में लोकसभा चुनाव की शुरुआत हो गई है. आज 102 लोकसभा सीटों पर देश के 21 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में वोटिंग हो रही है. देश में 7 चरणों में वोट डाले जाएंगे. 19 अप्रैल को पहले चरण की वोटिंग के बाद 26 अप्रैल को दूसरे चरण का चुनाव होगा. तीसरे चरण का चुनाव 7 मई, चौथे चरण का 13 मई, पांचवें चरण का 20 मई, छठें चरण का 25 मई और सातवें चरण की वोटिंग 1 जून को होनी है. 19 अप्रैल से 1 जून तक होने वाली वोटिंग में कुल 543 सीटों पर वोट डाले जाएंगे. वहीं 4 जून को चुनाव के नतीजों की घोषणा होगी.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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