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Air Purifier का भी बदला जाता है फिल्टर, कब करना चाहिए चेंज? जानिए सभी डिटेल्स

Air Purifier Filter: एयर प्यूरीफायर का फिल्टर नियमित रूप से बदलने की आवश्यकता होती है क्योंकि यह वायु में मौजूद विषैले पदार्थों, धूल, पोलेन, कीटाणु, धुएं और अन्य जहरीले तत्वों को हटाकर प्रदूषण को कम करता है. यह न केवल आपके आसपास की हवा को शुद्ध करता है बल्कि आपके स्वास्थ्य को भी सुरक्षित रखने में मदद करता है. फिल्टर नियमित रूप से बदलने से यह हवा से धूल और बालके जैसे छोटे कणों को हटाता है, जो वायुमंडल में मौजूद रहते हैं.

हमारे चारों ओर के वातावरण में पोलेन, कीटाणु, धूल और अन्य जैसे पदार्थ उपस्थित हो सकते हैं जिनका प्रदूषण आपको अलर्जी और अस्थमा जैसी समस्याएं दे सकता है. कुछ एयर प्यूरीफायर फिल्टर्स जहरीली गैसों को भी शुद्ध कर सकते हैं. ऐसे में इन्हें बदलना बेहद ही जरूरी होता है.

कब बदलवाना चाहिए एयर प्यूरीफायर का फिल्टर

एयर प्यूरीफायर के फिल्टर को बदलने का समय विभिन्न इकोलॉजी, उपयोग की जरूरतों और फिल्टर के प्रकार पर निर्भर करता है. लेकिन आमतौर पर निम्नलिखित सिद्धांतों का पालन करके फिल्टर को बदलना चाहिए.

लगातार मॉनिटरिंग

आपको एयर प्यूरीफायर में फिल्टर की कीमत और प्रदूषण की स्थिति के आधार पर नियमित अंतरालों पर फिल्टर की स्थिति की जांच करनी चाहिए.

इस्तेमाल के आधार पर

आपके फिल्टर का उपयोग कितनी ज्यादा किया जा रहा है, जहां इसका इस्तेमाल किया जा रहा है वहां कितना प्रदूषण है, इन बातों को ध्यान में रखकर भी आप समझ सकते हैं कि एयर प्यूरीफायर का फिल्टर कब बदलवाना चाहिए.

फिल्टर के प्रकार

एयर प्यूरीफायर में विभिन्न प्रकार के फिल्टर हो सकते हैं जैसे कि HEPA फिल्टर, एक्टिवेटेड कार्बन फिल्टर आदि. फिल्टर के प्रकार के आधार पर उनके बदलने के अंतराल की जांच करें. आमतौर पर HEPA फिल्टर को 6 महीने से 1 साल के बीच में बदलना चाहिए, जबकि एक्टिवेटेड कार्बन फिल्टर को 3 महीने से 6 महीने के बीच में बदलना चाहिए. लेकिन आपको पॉइंट में बताए गए आधारों पर भी फिल्टर की जांच करनी चाहिए और उसे बदलवाना चाहिए.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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