टैकनोलजी

भारतीय भाषाओं में फ्री ऑनलाइन AI ट्रेनिंग मिलेगी, सरकार ने किया ऐलान

देश के युवाओं के लिए अच्छी खबर है. सरकार ने भारतीय भाषाओं में फ्री ऑनलाइन AI ट्रेनिंग दिलाने की घोषणा की. विश्व युवा कौशल दिवस पर केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) ने शनिवार को भारत के लिए एआई 2.0 (AI 2.0 for India) कार्यक्रम की शुरुआत कर दी. यह पूरी तरह से फ्री ऑनलाइन (AI training program) सिलेबस है. 

आईआईटी मद्रास से मान्यता

स्किल इंडिया और ग्रैब योर वर्नाक्युलर इम्प्रिंट (गुवी) के इस ज्वाइंट ऑनलाइन कार्यक्रम से युवा अत्याधुनिक कौशलों से लैस हो जाएंगे. पीटीआई की खबर के मुताबिक, इस कार्यक्रम को राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद (एनसीवीईटी) और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) मद्रास से मान्यता प्राप्त है. केंद्रीय मंत्री प्रधान (Dharmendra Pradhan) ने कहा कि टेक्नोलॉजी को भाषा का गुलाम नहीं बनना चाहिए, और भारतीय भाषाओं में टेक्निकल सिलेबस की अपील की.

टेक्नोलॉजी एजुकेशन में भाषा की अड़चन

खबर के मुताबिक, एक ऑफिशियल बयान में कहा गया है कि उन्होंने कहा कि यह टेक्नोलॉजी एजुकेशन (technology education) में भाषा की अड़चन को खत्म करने और हमारी युवा शक्ति, खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में एक अच्छी शुरुआत है. प्रधान ने यह भी कहा कि भारत एक टेक्नोलॉजी प्रेमी देश है और भारत में डिजिटल पेमेंट को अपनाने में सफलता की कहानी इसका उदाहरण है.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence, AI) एक बहुत व्यापक शब्द है जो ह्यूमन इंटेलीजेंस की प्रतिक्रिया और सोच के कुछ पहलुओं को एक्सप्लेन करने के लिए उपयोग होता है जो मशीनों को लोकल और कॉमन सेंस के रूप में दिखाई देता है.  भारत सरकार के इस फैसले (AI training program) के बाद देशभर में बहुत बड़ी में संख्या में युवा स्किल डेवलपमेंट की ट्रेनिंग ले सकेंगे.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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