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Disney ने चली नेटफ्लिक्स की चाल, अब पासवर्ड शेयर करना पड़ेगा महंगा, जानें भारत में क्या होगा असर

Disney- Netflix : डिज्जनी हॉटस्टार अब नेटफ्लिक्स की राह पर चल दिया है. अभी तक आप डिज्जनी के पासवर्ड को किसी के साथ भी शेयर कर सकते थे, लेकि अब ऐसा नहीं होगा. नेटफ्लिक्स की तरह ही डिज्जनी ने भी अपनी पॉलिसी में बदलाव किया है. 
 
इस साल जुलाई में, Netflix ने भारतीय यूजर्स को अपने पासवर्ड अपने घर के बाहर शेयर करने से रोक लगा दी थी. अब Disney भी Netflix की राह पर चल रहा है. Disney+ ने कनाडा में यूजर्स से अपने पासवर्ड अपने घर के बाहर शेयर न करने के लिए कहा है. Disney+ ने यूजर्स के लिए पासवर्ड शेयरिंग बंद कर दी है.

1 नवंबर से, कनाडा में यूजर्स अपने पासवर्ड अपने घर के बाहर शेयर नहीं कर पाएंगे. इसकी जानकारी Disney+ ने अपने ग्राहकों को ईमेल के जरिए दी है. एक रिपोर्ट के अनुसार, ईमेल में लिखा है, “हम आपके अकाउंट को शेयर करने या आपके घर के बाहर लॉगइन क्रेडेंशियल्स शेयर करने पर प्रतिबंध लगा रहे हैं.” इसके अलावा, कंपनी के अपडेटेड हेल्प सेंटर में यह भी लिखा है, “आप अपनी मेंबरशिप को अपने घर के बाहर शेयर नहीं कर सकते.”

अगर यूजर्स ने नहीं माननी बात तो क्या होगा

यूजर्स के अकाउंट को लिमिट किया जा रहा है. कंपनी ने कहा है कि इसके लिए अकाउंट का एनालिसिस किया जाएगा. अगर कंपनी को पता चलता है कि यूजर इन नियमों का पालन नहीं कर रहा है तो वो उनका अकाउंट टर्मिनेट कर देगा.

क्या भारतीयों पर पड़ेगा असर?

फिलहाल यह नियम कनाडा में लागू किया गया है. ऐसे में भारत में इसे लागू करने के बारे में अभी कोई जानकारी नहीं मिली है. लेकिन माना जा रहा है कि Disney जल्द ही अन्य देशों में भी पासवर्ड शेयरिंग को बंद कर देगा.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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