बॉलीवुड और मनोरंजन

साउथ एक्टर्स संत होते तो कैसे दिखते? AI ने दिखाया धांसू लुक

Urfi Javed New Look: इंडस्ट्री की फैशन डीवा उर्फी जावेद (Urfi Javed) सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं। वह अक्सर अपने नए फोटोज और वीडियोज फैंस के साथ साझा करती नजर आ जाती हैं। उर्फी (Uorfi Javed) अपने अतरंगी फैशन सेंस से लोगों का दिमाग हिला देती हैं, जिसके कारण कई बार उन्हें काफी ट्रोलिंग भी झेलनी पड़ती है। अब हाल ही में उर्फी जावेद अजियो के ग्राजिया मिलेनियल अवॉर्ड में शामिल हुईं। इस दौरान उनके लुक को देखकर लोगों का माथा ठनक गया। दरअसल इस बार उर्फी ने अपना अब तक का सबसे बोल्ड आउटफिट पहना है।

एक्ट्रेस उर्फी जावेद (Urfi Javed) अजियो के अवॉर्ड शो में रेड कार्पेट पर गोल्ड कलर की ब्रेस्ट प्लेट पहने नजर आई, जिसमें एक्ट्रेस अपना पूरा बदन फ्लॉन्ट करती नजर आ रही हैं। इस ब्रेस्ट प्लेट के साथ उर्फी ने बॉटम में नेवी ब्लू कलर की साड़ी लपेटी हुई है। इस आउटफिट में उर्फी जावेद बेहद ही बोल्ड लग रही हैं और यही कारण है कि उर्फी के इस आउटफिट को देखकर सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है।

उर्फी जावेद (Urfi Javed) के वीडियो पर लोगों के कमेंट्स

उर्फी जावेद के इस वीडियो पर कमेंट करते हुए एक यूजर ने लिखा, “यह मॉडलिंग नहीं है। किसी को भी इसे सपोर्ट नहीं करना चाहिए। जो इसे पसंद करते हैं कर सकते हैं। यह केवल हर भारतीय का नाम मिट्टी में मिला रही है।” तो वहीं एक दूसरे यूजर ने लिखा, “ये क्या बेहुदगी है यार।” वहीं एक यूजर ने उर्फी को बस में सफर करने की सलाह देते हुए लिखा, “उर्फी जी एक बार ऑटो या डीटसी बस में जाकर देखो अकेला। पता चल जाएगा अनसेफ किसे कहते हैं। भगवान ना करे आपको कभी अकेले कहीं सफर करना पड़े।”

बिग बॉस ओटीटी से मिली उर्फी जावेद को पहचान

बता दें कि एक्ट्रेस उर्फी जावेद यूं तो ‘मेरी दुर्गा’ और ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ जैसे कई टीवी सीरियलों में नजर आ चुकी हैं। लेकिन उन्हें असली पहचान करण जौहर के शो बिग बॉस ओटीटी से मिली। इस शो में उर्फी के टैलेंट ने लोगों को काफी प्रभावित किया था, जिसके बाद वह सोशल मीडिया सेंसेशन बन गईं।

Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button