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वीकेंड का रणबीर और आलिया की फिल्म को मिला फायदा, दूसरे दिन हुई तगड़ी कमाई

RARKPK BO Collection Day 2: करण जौहर की फिल्म ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ इस शुक्रवार रिलीज हो चुकी है. फिल्म में आलिया  भट्ट और रणवीर सिंह की जोड़ी लोगों का गुदगुदा रही है. फिल्म ने पहले दिन में डबल डिजिट में कलेक्शन किया था. हालांकि अब फिल्म की दूसरे दिन की कमाई भी सामने आ गई है. जिसमें फिल्म को वीकेंड का फायदा मिलता नजर आ रहा है.

दूसरे दिन फिल्म ने की इतनी कमाई
‘ऐ दिल है मुश्किल’ के 7 साल बाद करण जौहर ने इस फिल्म से बतौर डायरेक्टर कमबैक किया है. ये कहना गलत नहीं होगा कि इस फिल्म के साथ करण जौहर का कमबैक सक्सेसफुल साबित होता दिखाई दे रहा है. पहले ही दिन फिल्म ने 11.10 करोड़ रुपए की कमाई की थी. वहीं sacnilk की रिपोर्ट के अनुसार फिल्म ने दूसरे दिन 16 करोड़ रुपए की कमाई की है. इसके साथ ही करण जौहर का कमबैक सक्सेसफुल माना जा रहा है. फिल्म की अब तक कुल कमाई 27.10 करोड़ रुपए हो गई है. 

फिल्म के वीकेंड पर अच्छा कलेक्शन करने की उम्मीद
160 करोड़ के बजट में बनी ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ ने अब तक ठीक-ठाक कमाई कर रही है, लेकिन ये कमाई उम्मीद के मुताबिक नहीं है. वहीं कयास लगाए जा रहे हैं कि इस फिल्म का रविवार को भी वीकेंड का फायदा मिल सकता है.अब देखना ये होगा कि फिल्म वीकेंड पर कितना आंकड़ा पार कर पाती है.

क्या है फिल्म की कहानी?
‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ में रणवीर सिंह और आलिया भट्ट के अलावा धर्मेंद्र, शबाना आजमी और जया बच्चन भी मुख्य भूमिका में नजर आ रहे हैं. फिल्म को देश भर में 32 सौ से ज्यादा स्क्रीन्स पर रिलीज किया गया है. फिल्म की कहानी की बात करें तो एक ऐसे कपल की कहानी है जो एक दूसरे से बिल्कुल अलग-अलग है लेकिन ये प्यार में पड़ जाते हैं. हालांकि शादी करने के लिए इन्हें कई पापड़ बेलने पड़ते हैं. फिल्म में जहां रणवीर सिंह ने एक तेज तर्रार पंजाबी लड़के रॉकी रंधावा की भूमिका निभाई है. वहीं आलिया भट्ट एक बंगाली टीवी पत्रकार रानी चटर्जी के रोल में नजर आ रही हैं.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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