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इन्वेस्टर्स की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सकी Netflix, अब इसका नुकसान सीधा आपको होगा, जानिए कैसे?

Netflix Password Sharing : नेटफ्लिक्स को लॉ सब्सक्राइबर्स का सामना करना पड़ रहा है, जिसकी वजह से कम्पनी उन अमेरिकी कस्टमर्स पर नकेल कसने के लिए तैयार है, जो अपने अकाउंट को दूसरों के साथ शेयर करते हैं. कंपनी ऐसे कस्टमर्स पर चार्ज लगाएगी. स्ट्रीमिंग कंपनी लैटिन अमेरिका में अकाउंट शेयरिंग को कम करने के तरीकों की टेस्टिंग कर रही है, जहां उसने चार एरिया में यूजर्स अकाउंट शेयरिंग पर चार्ज करने का प्लान रोलआउट भी कर दिया है.

इतने लोग नहीं करते हैं पेमेंट

नेटफ्लिक्स के अनुसार, 100 मिलियन से अधिक लोग ऐसे अकाउंट का इस्तेमाल कर रहे हैं जिसके लिए वे पेमेंट नहीं करते हैं. विश्लेषकों का सुझाव है कि पैड शेयरिंग नए ग्राहकों या बिक्री का एक संभावित स्रोत बन सकता है. मूल रूप से कम्पनी 2023 की पहली तिमाही में यूएस में पासवर्ड शेयरिंग के लिए चार्ज करने की योजना बना रही है, कंपनी अब कहती है कि वह आने वाले महीनों में ऐसा बहुत जल्द करने वाली है.

कंपनी क्यों ला रही नया प्लान?

नेटफ्लिक्स के सब्सक्राइबर्स के पहली तिमाही के रिजल्ट उम्मीद से कम रहे हैं. कंपनी इन्वेस्टर्स की उम्मीद पर खरा नहीं उतर पाई है. 2.41 मिलियन के बजाय केवल 1.75 मिलियन ग्राहक जुड़े हैं. इसकी वजह पासवर्ड शेयरिंग जी है, लेकिन अब कंपनी इस बिखरे रायता को समेटने के लिए कमर कस चुकी है. कंपनी ने दो नई पहलें शुरू करके अपनी धीमी ग्रोथ को तेज करने की प्लानिंग की है: पासवर्ड शेयरिंग प्लान और एक विज्ञापन-समर्थित सब्सक्रिप्शन.

कंपनी कीमत पर कर रही विचार

नेटफ्लिक्स ने पिछले साल लगभग दस लाख कस्टमर्स को खोने के बाद अमेरिका और कनाडा में सिर्फ 1,00,000 ग्राहक अपने खास जोड़े. हालांकि, यह अभी भी यूएस में सबसे लोकप्रिय टीवी नेटवर्क है. अब एशिया-प्रशांत क्षेत्र नेटफ्लिक्स के नए ग्राहकों का सबसे बड़ा स्रोत बना हुआ है. कंपनी इस और भी अपना ध्यान दे रही है. नेटफ्लिक्स ने कहा है कि कंपनी सब्सक्रिप्शन की कीमत को लेकर चर्चा कर रही है. हम कम कीमत पर विचार कर रहे हैं. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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