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1.3 करोड़ में बिका ये फोन, सील पैक वाले इस 2007 मॉडल के लिए पागल हुए लोग

iPhone 4 Sealed Pack: शौक बड़ी चीज है. ये वाक्य आपने कई बार सुना होगा. आज इस वाक्य को सच करती हुई एक खबर सामने आई है जहां एक 2007 मॉडल सील्ड पैक iPhone 4 डेढ़ करोड़ रुपये में बिका है. यानि ऐसा फोन जिसका डिब्बा भी अभी तक खोला नहीं गया है और न ही बनने के बाद अबतक एक्टीवेट किया गया है. इस फोन को उसकी कीमत से 318 गुना ज्यादा कीमत पर खरीदा गया है.

एलसीजी ऑक्शन द्वारा नीलाम किया गया ये एक बहुत ही दुर्लभ मॉडल था. बेचा गया iPhone एप्पल के iPhone 4 का 4GB मॉडल था जिसे कंपनी ने कुछ ही महीनो के लिए बनाया था. इस सील पैक्ड iPhone 4 को जून में नीलामी के लिए रखा गया था. 30 जून को फोन के लिए बोली 10,000 डॉलर से शुरू हुई जो अंत में 1,58,644 डॉलर पर खत्म हुई. यानि 1,30,23,958 रुपये. बता दें, वैसे इस iPhone 4 की कीमत 499 डॉलर थी लेकिन इसे इसकी कीमत से 318 गुना महंगे दाम पर बेचा गया. 

iPhone 4 में मिलते थे ये स्पेक्स

एप्प्पल का iPhone 4 अब आपको नहीं मिलेगा. अगर आप इस मॉडल को यूज करना चाहते हैं तो आपको ऑफलाइन मार्किट में इसे ढूढ़ना होगा. iPhone 4 को कम्पनी ने 2 वेरिएंट में लॉन्च किया था. इसमें एक 4GB और दूसरा 8GB ऑप्शन था. बेस वेरिएंट केवल 2 ही महीने बाजार में आया और जिसे फिर कंपनी ने बंद कर दिया. iPhone 4 में 3.5 इंच की डिस्प्ले मिलती थी जो आज के मोटरला के Razr 40 अल्ट्रा में मिलने वाले कवर स्क्रीन से भी छोटी थी. फोन में 1420 mAh की बैटरी, 5MP का रियर कैमरा और 0.3MP फ्रंट कैमरा मिलता था. बता दें, ग्लोबली ये मॉडल पहले लॉन्च हो गया था लेकिन भारत में 2010 में आया. छोटी डिस्प्ले और कॉम्पैक्ट साइज होने की वजह से ये फोन लोगों को पसंद आया.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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