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पहली बार साथ में नजर आएंगी बेस्टफ्रेंड अनन्या पांडे-सारा अली खान, इस फिल्म में करेंगी धमाल!

Cocktail 2:  बीटाउन की नई बेस्टफ्रेंड अनन्या पांडे और सारा अली खान सुर्खियों का हिस्सा बनी रहती हैं. दोनों को कई बार में साथ स्पॉट किया गया है. अनन्या और सारा को एक-दूसरे की लव लाइफ के बारे में भी काफी कुछ पता है. कॉफी विद करण में दोनों एक-दूसरे की पोल खोलती हुई नजर आईं थीं. अब इस जोड़ी को साथ में फिल्म में देखा जा सकता है. रिपोर्ट्स की माने तो अनन्या और सारा कॉकटेल 2 में नजर आ सकती हैं.

अनन्या पांडे और सारा अली खान दोनों को मैडॉक फिल्म्स के ऑफिस के बाहर स्पॉट किया गया था. इसी प्रोडक्शन हाउस ने कॉकटेल बनाई थी. न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक दोनों को साथ में प्रोडक्शन हाउस के बाहर देखने के बाद से कॉकटेल 2 को लेकर खबरें आने लगी हैं.

ऐसा था लुक
अनन्या और सारा दोनों ही कैजुअल लुक में स्पॉट हुई थीं. अनन्या के लुक की बात करें तो उन्होंने व्हाइट टैंक टॉप और जीन्स पहनी हुई थी और हेयर ओपन किए हुए थे. वहीं सारा अली खान के लुक की बात करें तो उन्होंने व्हाइट क्रॉप टी-शर्ट और पैंट पहनी हुई थी. सिंपल लुक में दोनों ही बहुत प्यारी लग रही थीं.

अनन्या पांडे के हाथ लगी देसी बॉयज 2
अक्षय कुमार और जॉन अब्राहम की देसी बॉयज का सीक्वल बन रहा है. इसके सीक्वल में अक्षय और जॉन में से कोई भी नजर नहीं आने वाला है. फिल्म में इस बार टाइगर श्रॉफ और वरुण धवन की जोड़ी नजर आएगी. इनके साथ अनन्या पांडे को फिल्म के लिए फाइनल किया गया है. हालांकि अभी तक फिल्म की कास्ट को लेकर कोई ऑफिशियल अनाउंसमेंट नहीं की गई है.

कॉकटेल की बात करें तो ये फिल्म साल 2012 में आई थी. मूवी में सारा के पापा सैफ अली खान, दीपिका पादुकोण और डायना पैंटी लीड रोल में नजर आए थे. कॉकटेल से डायना पैंटी ने बॉलीवुड में कदम रखा था. इसके अलावा डिंपल कपाड़िया और रणदीप हुड्डा ने अहम रोल निभाया था. इस फिल्म को क्रिटिक से लेकर ऑडियन्स तक सभी ने पसंद किया था.

Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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