टैकनोलजी

जापान भी सोमवार को चांद पर भेजेगा लैंडर, तीन-चार महीने बाद ऑर्बिट में होगा दाखिल

भारत के मून मिशन चंद्रयान 3 की शानदार सफलता के बाद अब जापान कमर कसकर तैयार है. जापान की अंतरिक्ष एजेंसी (JAXA) सोमवार को चंद्रमा की सतह पर एक लैंडर (Japan lunar lander) और एक एक्स-रे मिशन (Japan X-ray mission) लॉन्च करने जा रही है. लैंडर, को जापानी भाषा में मून स्नाइपर नाम दिया गया है. आईएएनएस की खबर के मुताबिक लैंडर के लॉन्च के तीन-चार महीने बाद चंद्रमा की ऑर्बिट में प्रवेश करेगा. जापानी एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी का मून स्‍नाइपर (Japan moon sniper) भेजने का लक्ष्य छोटे पैमाने पर एक हल्की टेस्टिंग सिस्टम हासिल करना और भविष्य की खोज के लिए जरूरी पिनपॉइंट लैंडिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना है.

तब पांचवां देश बन जाएगा जापान

खबर के मुताबिक, सफल होने पर रूस, अमेरिका, चीन और भारत के बाद जापान चंद्रमा पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट-लैंडिंग करने वाला पांचवां देश बन जाएगा. एजेंसी मिशन एक्स-रे इमेजिंग और स्पेक्ट्रोस्कोपी मिशन (XRISM) के तहत एक सैटेलाइट को भी पृथ्‍वी की कक्षा में स्‍थापित करेगी जो वैज्ञानिकों को सितारों और आकाशगंगाओं में प्लाज्मा का निरीक्षण करने में मदद करेगा.

खराब मौसम के चलते टल गया था मिशन

एक्सआरआईएसएम (XRISM) के ईएसए परियोजना वैज्ञानिक माटेओ गुएनाजी ने एक बयान में कहा कि एक्स-रे खगोल विज्ञान हमें ब्रह्मांड में सबसे ऊर्जावान घटनाओं का अध्ययन करने में सक्षम बनाता है. यह आधुनिक खगोल भौतिकी में महत्वपूर्ण सवालों के जवाब देने की कुंजी है. मूल रूप से शनिवार को उड़ान भरने वाला मिशन (Japan X-ray mission) खराब मौसम के चलते सोमवार के लिए स्थगित कर दिया गया था. अब यह तनेगाशिमा अंतरिक्ष केंद्र में योशिनोबू लॉन्च कॉम्प्लेक्स से एच-2ए रॉकेट द्वारा भेजा जाएगा.

जापान की अंतरिक्ष एजेंसी (JAXA) सोमवार को इस इवेंट (Japan X-ray mission) का लाइव टेलीकास्ट करने वाला है. चाहें तो आप भी इसे लाइव देख सकते हैं. एजेंसी ने इस बारे में एक्स पर पोस्ट भी डाली है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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