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‘अरे यार बस’पैप्ज को देख खराब हो गया परिणीति चोपड़ा का मूड? भड़के यूजर्स

Parineeti Chopra Trolled For Her Attitude: कुछ वक्त पहले परिणीति चोपड़ा की सगाई हुई. उस दौरान पैपराजी ने उन्हें काफी कवर किया और लाइम लाइट में रखा. सोशल मीडिया पर इस वजह से परिणीति की काफी चर्चा भी हुई. वहीं हाल ही में परिणीति जब एक खास जगह पहुंची तो पैप्ज को देख कर वे काफी इरिटेट महसूस करने लगीं.

पैपराजी से इरिटेट हो गईं परिणीति चोपड़ा!

दरअसल, परिणीति चोपड़ा एक इवेंट पर पहुंची थीं. साधारण कुर्ता और प्लाजो पहने हुए एक्ट्रेस जब इवेंट के अंदर एंटर कर रही थीं, उसी वक्त पैपराजी भी उनका इंतजार कर रहे थे कि कब परिणीति इस तरफ आएं और वे उन्हें क्लिक करें. लेकिन परिणीति ने जैसे ही पैप्स को देखा तो उनका मूड खराब हो गया! परिणीति ने इस दौरान इरिटेट होकर कहा -अरे यार बस. 


सोशल मीडिया पर ट्रोल हो गईं परिणीति

सोशल मीडिया पर अब परिणीति का ये वीडियो काफी वायरल हो रहा है, ऐसे में परिणीति के एटीट्यूड पर लोगों ने सवाल उठाना शुरू कर दिया. कई लोग इस दौरान परिणीति को घमंडी कहते दिखे तो किसी ने कहा कि वे बेवजह का इतना ऐटीट्यूड झाड़ रही हैं. तो किसी ने कहा – ऐसे सेलेब्स को कवर ही मत करो जो मुंह बनाए. देखते ही देखते परिणीति इस वीडियो में उनके ऐटीट्यूड की वजह से वे ट्रोल हो गईं.

एक यूजर ने लिखा- जब से इनकी इंगेजमेंट हुई है तब से परिणीति अपनी रिंग ही शो ऑफ करती रहती हैं. एक ने लिखा- पहले मीडिया को बुलाओ फिर भगाओ. तो किसी न कहा- इतनी बड़ी तो सिलेब्रिटी नहीं हो जितना ऐटीट्यूड दिखा रही हो. एक यूजर ने लिखा- पहले मैं इन्हें लाइक करती थी, लेकिन परिणीति को ऐसे देखकर अब मुझे नफरत हो गई है. एक यूजर ने लिखा- इसकी शादी पर भी क्लिक मत करना पिक्चर्स. तो किसी ने लिखा- मीडिया को बुलाना ही क्यों जब कंफर्टेबल नहीं हो तो.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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