टैकनोलजी

भारत में रोके गए 947 मिलियन से ज्यादा साइबरअटैक, दूसरी तिमाही में जानें दुनिया का हाल

भारत में साइबर अटैक (cyberattacks) बड़े लेवल पर जा पहुंचा है. लेटेस्ट आंकड़े बताते हैं कि साल 2023 की दूसरी तिमाही में भारत में कुल 947 मिलियन से अधिक साइबर हमले भारत में रोके गए. दुनिया की बात करें तो कुल 1.1 बिलियन साइबरअटैक रोके गए. आईएएनएस की खबर के मुताबिक, टाटा कैपिटल की तरफ से वित्त पोषित कंपनी इंडसफेस के मुताबिक, यह आंकड़ा Q1 के मुकाबले Q2 के दौरान भारतीय वेबसाइटों पर साइबर हमलों (cyberattacks in India in Q2 2023) की फ्रीक्वेंसी में 90 प्रतिशत की तेज बढ़ोतरी को दर्शाता है, जिसमें 500 मिलियन अटैक दर्ज किए गए थे.

हमलों में ग्रोथ पर नज़र

खबर के मुताबिक, इंडसफेस (Indusface) के सीईओ आशीष टंडन का कहना है कि भारत की कहानी रोमांचक है और ऐसा लगता है कि बैड एक्टर्स ने भी इस पर ध्यान दिया है. जबकि हम दुनिया भर में हमलों (cyberattacks) में ग्रोथ पर नज़र रखते हैं, किसी दूसरे प्रमुख भूगोल में हमलों में 90 प्रतिशत की ग्रोथ नहीं देखी गई है. बैंकिंग और बीमा और स्वास्थ्य सेवा खासतौर से लक्षित क्षेत्र थे जो अत्यधिक प्रभावित हुए क्योंकि इस क्षेत्र की हर वेबसाइट को बॉट हमलों का सामना करना पड़ा.

बॉट हमलों में 48 प्रतिशत की ग्रोथ

आईएएनएस की खबर के मुताबिक, साल 2023 की पहली तिमाही (59 मिलियन हमले) की तुलना में दूसरी तिमाही (88 मिलियन हमले) में ज्यादातर बॉट हमलों में 48 प्रतिशत की ग्रोथ हुई, जो इस खतरे की व्यापक प्रकृति को रेखांकित करता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि DDoS (डिस्ट्रीब्यूटेड डेनियल-ऑफ-सर्विस) अटैक (cyberattacks in India in Q2 2023) में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है, जिसमें इंटरनेशनल लेवल पर पिछली तिमाही की तुलना में 75 प्रतिशत की ग्रोथ देखी गई है. भारत के बाद, अमेरिका और ब्रिटेन में सबसे ज्यादा हमले हुए.

रिपोर्ट के मुताबिक, DDoS अभी भी सबसे बड़ा डेंजर कैरियर बना हुआ है. इंटरनेशनल लेवल पर DDoS अटैक की कुल संख्या 8,72,105,826 तक पहुंच गई, जबकि बॉट अटैक की संख्या 88,186,868 थी, जो साइबर अटैक (cyberattacks) के परिदृश्य के पैमाने पर जोर देती है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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