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सुबह-सुबह डाउन हुआ इंस्टाग्राम, लोगों को लॉगिन करने में आ रही दिक्कत

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम डाउन होने की रिपोर्ट्स सामने आ रही हैं. बताया जा रहा है कि दुनिया भर के यूजर्स को इसे इस्तेमाल करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और वेबसाइट्स की क्रैश या डाउन होने की घटनाओं को ट्रैक करने वाली वेबसाइट डाउन डिटेक्टर के अनुसार, गुरुवार सुबह यूजर्स को इंस्टाग्राम चलाने में दिक्कत आ रही थी. डाउनडिटेक्टर के अनुसार, 27 हजार से ज्यादा यूजर्स ने इंस्टाग्राम में दिक्कत होने को लेकर रिपोर्ट किया है.

रिपोर्ट्स के अनुसार, सुबह करीब 7 बजे यूजर्स को मुश्किल का सामना करना पड़ा और उस वक्त यूजर्स की रिपोर्ट्स में बढ़ावा हुआ. इसमें से 50 फीसदी यूजर्स ने सर्वर कनेक्शन को शिकायत की जबकि 20 फीसदी लोगों ने लॉगिन करने में दिक्कत आने की बात कही है. इंस्टाग्राम में दिक्कत होने के बाद यूजर्स ट्विटर पर इस बात की पुष्टि कर रहे हैं. कई लोग इससे जुड़े मीम शेयर कर रहे हैं तो कई लोग कंफर्मेशन के लिए ट्विटर का सहारा ले रहे हैं. 


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डाउनडिटेक्टर ने बताया है कि यूके से 2000 से ज्यादा रिपोर्ट किए गए हैं. इसके अलावा भारत और ऑस्ट्रेलिया से भी एक-एक हजार से ज्यादा लोगों ने इस बारे में अपनी शिकायत दर्ज की है. हालांकि, अभी तक इंस्टाग्राम की ओर से आधिकारिक रुप से इसकी जानकारी नहीं दी गई है. इससे पहले जब नवंबर या सितंबर में इंस्टाग्राम डाउन हुआ था तो Instagram Comms की ओर से इसकी जानकारी दे दी गई थी और प्रॉब्लम सॉल्व होने के बाद ट्विटर के जरिए इसके बारे में बता दिया था.

दूसरी ओर, इन दिनों कई बार ट्विटर के डाउन होने की खबरें भी आई हैं. हाल ही में मंगलवार को भी ट्विटर में दिक्कत आ रही थी.  कंपनी ने बताया थआ कि ट्विटर के कुछ हिस्से अभी उम्मीद के मुताबिक काम नहीं कर रहे हैं. हमने एक आंतरिक बदलाव किया है जिसके कुछ अनपेक्षित परिणाम मिले थे. इस दौरान भी भारत समेत कई देशों के यूजर्स ने इसकी शिकायत की थी.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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