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‘जवान’ एक्टर केनी देवरी बसुमतारी ने ली शाहरुख खान की फिल्म पर चुटकी,बोले – ‘इतने में तो मैं…’

Kenny Deori Basumatary On Jawan: बॉलीवुड एक्टर शाहरुख खान (Shah Rukh Kha) की फिल्म ‘जवान’ (Jawan) ने इंडिया में 596.20 करोड़ रुपये की धांसू कमाई कर ली है. फिल्म में नजर आने वाले एक्टर और फिल्म मेकर केनी देवरी बसुमतारी (Kenny Deori Basumatary) ने हिमालयन फिल्म फेस्टिवल में पहुंचकर इसको लेकर बात की. उन्होंने ‘जवान’ के शूटिंग के दिनों को याद करते हुए चुटकी ली और कहा कि, एटली कुमार के एक फिल्म के सेट के बजट में तो वो कुंग फू फ्रेंचाइजी में 45 फिल्में बना सकते हैं.  

45 लाख में मैं पूरी फिल्म बना दूं – केनी

केनी देवरी बसुमतारी ने कहा कि, “ उन्हें अक्सर महंगे कैमरा लेंस लेने का लालच होता है. जब भी मैं किसी फिल्म के सेट पर लेंस देखता हूं, तो सोचता हूं कि चलो 12 लाख रुपये का ये लेंस में भी ले लूं. लेकिन आपको इसके साथ पूरी किट की जरूरत होती है. तब ये समझ आ जाता है कि ये संभव नहीं होगा. फिल्म ‘जवान’ के बारे में मैंने सुना है कि उस महिला जेल के सेट के लिए 45 लाख रुपये के करीब पैसे खर्च किए गए थे. मैं तो 45 लाख रुपये में इसकी रिलीज सहित पूरी बना सकता हूं.”

फिल्म बनाने के लिए ये तीन चीजें जरूर है

वहीं फिल्म बनाने पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि, इसके लिए डायरेक्टर को कम से कम तीन चीजें ध्यान रखनी चाहिए. सबसे पहले तो स्क्रिप्ट ठोस होनी चाहिए. दूसरा, अगर आपका आपके मेन लीड को कुछ बुरा चाहिए और आपको दर्शकों को दिखाना चाहिए कि वो इसे कैसे हासिल कर सकते हैं. इसके अलावा तीसरी बात ये है कि  आपकी कास्टिंग हमेशा सही होनी चाहिए. साथ ही अपनी फिल्मों के लिए एक्टर्स का ऑडिशन जरूर लें.

बता दें कि बासुमतारी इसी साल के आखिर में अपनी स्थानीय कुंग फू फ्रेंचाइजी की तीसरी फिल्म पर काम करना शुरू करने वाले हैं. इसके अलावा वो एक सुपरहीरो फिल्म भी बनाना चाहते हैं.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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