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फोन में इंस्टा, FB, वॉट्सऐप और टेलीग्राम इंस्टाल है तो उल्लू बनने से पहले ये जरूर पढ़िए

Online Fraud through Social Media: जानी-मानी ई-कॉमर्स वेबसाइट्स से खरीदारी करना सेफ और सिक्योर समझा जाता है. लेकिन आजकल लोग सोशल मीडिया ऐप्स के जरिए भी शॉपिंग कर रहे हैं. दरअसल, इंस्टाग्राम, वॉट्सऐप, फेसबुक और टेलीग्राम आदि पर कई ग्रुप्स और पेज बने हुए हैं जहां कपड़े, गैजेट्स और अन्य आइटम्स लिस्ट किए जाते हैं और यहां से लोग अपना मनपसंद सामान खरीदते हैं. कुछ पेज और ग्रुप्स तो वाकई अच्छे हैं लेकिन कुछ ऐसे हैं जो लोगों को उल्लू बना रहे हैं. अगर आपके फोन में भी ये चार प्रमुख सोशल मीडिया ऐप्स इंस्टॉल है तो इस लेख को जरूर पढ़ें. 

ठग ने उड़ा लिए 29 लाख रुपये 

दिल्ली के रहने वाले विकार कटियार को हाल ही में 29 लाख रुपए की चपत इंस्टाग्राम के जरिए लगी है. दरअसल, उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक पेज देखा था जहां सस्ते में आईफोन बेचा जा रहा था. फोन खरीदने से पहले उन्होंने एक दो जगह से पेज को लेकर कन्फर्मेशन लिया. जब उन्हें लगा कि पेज असली है तो उन्होंने पेज के ओनर को कांटेक्ट किया जहां ओनर ने विकार कटियार से 28,000 रुपये एडवांस मांगे. पेमेंट करने के तुरंत बाद फ्रॉड करने वाले व्यक्ति ने विकार से कस्टम ड्यूटी के नाम पर और पैसे मांगे और कुल मिलकर अलग-अलग तरह से विकार ने कुल 28,69,850 रुपये ठग के अकाउंट में ट्रांसफर किए.  ठगी का अंदेशा होते ही विकार ने दिल्ली पुलिस की साइबर क्राइम यूनिट में रिपोर्ट दर्ज करवाई है जहां अब मामले की जांच हो रही है.

आप न करें ये गलती

अगर आप भी इन ऐप्स का इस्तेमाल करते हैं तो इस बात का विशेष ध्यान रखें कि कभी भी ऐसे ऐप्स पर मौजूद किसी भी पेज या ग्रुप से शॉपिंग न करें. हमेशा ट्रस्टेड जगह से ही सामान मंगवाए और सेफ्टी के लिए पेमेंट ऑर्डर आने के बाद ही करें. किसी भी अनजान लिंक या व्यक्ति पर भरोसा न करें और न ही उन्हें अपनी निजी जानकारी डिस्क्लोज करें. ये पहला मामला नहीं है जहां किसी व्यक्ति के साथ इस तरह से धोखाधड़ी हुई हो. इससे पहले भी दिल्ली पुलिस ने कोलकाता से एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया था जिसने इंस्टाग्राम पेज के जरिए 48,000 रुपये एक व्यक्ति के ठगे थे. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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