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2024 से मस्क की कंपनी स्टारलिंक देगी डायरेक्ट टू हैंडेसट सर्विसेस, आपको क्या होगा फायदा?

Starlink D2H service: एलन मस्क अपने ड्रीम प्रोजेक्ट को जल्द भारत में शुरू करने वाले हैं. स्टारलिंक के जरिये आपको सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस मिलेगी. इस बीच ये खबर सामने है कि कंपनी साल 2024 से डायरेक्ट टू हैंडसेट सेवाएं भी शुरू करने वाली है. मस्क अपने स्टारलिंक सैटेलाइट के जरिए ग्लोबली 2024 से डायरेक्ट टू हैंडेसट सर्विस प्रदान करेंगे. D2H सर्विस के जरिए आप पानी, जमीन और हवा कहीं भी इंटरनेट, टेक्स्ट मैसेज और कॉलिंग आदि का लाभ ले पाएंगे. ET की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी ने कहा कि उसकी डायरेक्ट-टू-सेल सेवा इंटरनेट ऑफ थिंग्स ( IoT ) उपकरणों को “सामान्य LTE स्टैंडर्ड्स” से भी जोड़ेगी.

2025 से शुरू होंगी ये सर्विस

मस्क की कंपनी स्पेसएक्स का लक्ष्य 2024 में टेक्स्ट सेवाएं और इसके बाद 2025 में वॉयस और डेटा के साथ-साथ IoT सेवाएं लाने का है. जिन लोगों को नहीं पता कि इंटरनेट ऑफ थिंग्स क्या है तो दरअसल, इसमें टेक्नोलॉजी, सेंसर और सॉफ्टवेयर की मदद से डेटा को एक जगह से दूसरी जगह भेजा जाता है. IOT के जरिए हम इंटरनेट की मदद से डिवाइसेस को एक्सेस और उन्हें कंट्रोल कर सकते हैं.

फिलहाल ये जानकारी सामने नहीं है कि स्टारलिंक कि टेक्स्ट और वॉइस सेवाएं पहले किधर शुरू होंगी और इसका प्राइस क्या होगा. अच्छी बात ये है कि डायरेक्ट टू होम सर्विसेस के लिए हार्डवेयर, फ़र्मवेयर या विशेष ऐप्लिकेशन में कोई बदलाव की आवश्यकता नहीं होगी और आप टेक्स्ट, वॉयस और डेटा का मजा आसानी से ले पाएंगे. यानि ऐसे लोग जो पहले से कंपनी की सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस यूज कर रहे हैं वे पुराने हार्डवेयर पर D2H का लाभ ले पाएंगे. 

कैसे काम करेगी D2H टेक्नोलॉजी?

स्टारलिंक ने बताया कि डायरेक्ट-टू-सेल क्षमता वाले उसके सैटेलाइट में एक “एडवांस्ड eNodeB मॉडेम” ऑनबोर्ड है जो अंतरिक्ष में एक मोबाइल टावर की तरह काम करता है और इससे नेटवर्क का एकीकरण होता है. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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