टैकनोलजी

हिमाचल प्रदेश में नहीं काम कर रहा कोई मोबाइल नेटवर्क? उपलब्ध नेटवर्क से ऐसे कर सकते हैं कनेक्ट

हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में भारी बारिश ने टेलीकॉम सर्विस पर भी असर डाला है. प्रभावित क्षेत्र के कई इलाकों में बिजली कटौती हो रही है इससे टेलीकॉम टावरों का संचालन प्रभावित हो रहा है. इंडस्ट्री के अधिकारियों ने कहा है कि अभी के हालात को देखते हुए सरकार ने टेलीकॉम ऑपरेटर्स को इंट्रा-सर्कल रोमिंग एनेबल करने का निर्देश दिया है. इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक, राज्य में कनेक्टिविटी बाधित न हो इसके लिए यह ऑर्डर दिया है.

चार ऑपरेटरों को मिले ऑर्डर

खबर के मुताबिक, सरकार ने सभी चार ऑपरेटरों – बीएसएनएल, रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया को इंट्रा-सर्कल रोमिंग सक्षम करने के लिए कहा है. इसका फायदा यह है कि अगर टेलीकॉम यूजर्स का प्राइमरी नेटवर्क आउटेज का सामना करता है तो अपने होम नेटवर्क में रहते हुए भी यूजर्स दूसरे नेटवर्क (telecom network in Himachal Pradesh) की सर्विस का फायदा ले सकते हैं.

दूरसंचार बुनियादी ढांचे को कोई बड़ा नुकसान नहीं 

भारी बारिश के बीच हालांकि टेलीकॉम कंपनियों (telecom operators in Himachal Pradesh) का कहना है कि खराब हालात के बावजूद टावरों या रेडियो जैसे दूरसंचार बुनियादी ढांचे को कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है. एक एग्जिक्यूटिव ने कहा कि उस क्षेत्र में राष्ट्रीय राजमार्ग पर बिछाए गए फाइबर को कुछ नुकसान हुआ है, लेकिन नेटवर्क इंजीनियर उस ट्रैफिक को फिर से रूट करने के लिए काम कर रहे हैं.

बिजली सप्लाई नहीं होना बड़ी चुनौती

सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) के डायरेक्टर जनरल एसपी कोचर के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में इस हालात में टेलीकॉम ऑपरेटर्स के सामने कई इलाकों में मोबाइल टावरों को ग्रिड बिजली आपूर्ति का न होना सबसे बड़ी समस्या है. उन्होंने कहा कि क्षतिग्रस्त या जलमग्न सड़कों/पुलों की परेशानी के चलते प्रभावित लोकेशन पर बैकअप बिजली सप्लाई पाना भी एक चुनौती है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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