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कैटरीना कैफ की फिल्म बॉक्स ऑफिस पर गिरी धड़ाम, 15 करोड़ कमाना भी हुआ मुश्किल

Merry Christmas Box office Collection Day 6: कैटरीना कैफ और विजय सेतुपति की फिल्म मैरी क्रिसमस से लोगों को बहुत उम्मीद थी. लोग लंबे समय से इस फिल्म का इंतजार कर रहे थे. फिल्म 12 जनवरी को रिलीज हो चुकी है और इसे क्रिटिक के साथ ऑडियन्स के भी अच्छे रिव्यू मिले हैं. फिर भी ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास कमाई नहीं कर पा रही है. मैरी क्रिसमस का बॉक्स ऑफिस पर बहुत ही बुरा हाल है. 60 करोड़ के बजट में बनी इस फिल्म को 15 करोड़ का कलेक्शन करना भी मुश्किल हो रहा है. फिल्म ने छठे दिन भी कुछ खास कमाई नहीं की है. आइए आपको मैरी क्रिसमस के छठे दिन के कलेक्शन के बारे में बताते हैं.

12 जनवरी को बॉलीवुड फिल्म मैरी क्रिसमस के साथ कई साउथ की फिल्में भी रिलीज हुई हैं. इन साउथ की फिल्मों ने बॉलीवुड फिल्म को पीछे छोड़ दिया है. ये सारी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर शानदार कमाई कर रही हैं. फिर वो महेश बाबू की गुंटूर कारम हो या तेजा सज्जा की हनु मान. ये फिल्में 100 करोड़ के क्लब में शामिल होने के लिए एक दम तैयार हैं.

छठे दिन किया इतना कलेक्शन

  • साउथ की फिल्मों का बॉक्स ऑफिस पर दबदबा है जिसकी वजह से मैरी क्रिसमस पीछे रह गई है. सैकनिल्क की अर्ली रिपोर्ट के मुताबिक मैरी क्रिसमस से छठे दिन 1.15 करोड़ का बिजनेस किया है.
  • मैरी क्रिसमस के बाकी दिनों के कलेक्शन की बात करें तो  पहले दिन 2.45 करोड़, दूसरे दिन 3.45 करोड़, तीसरे दिन 3.83 करोड़, चौथे दिन 1.65 करोड़ और पांचवें दिन 1.3 करोड़ का कलेक्शन किया था. जिसके बाद टोटल कलेक्शन 13.83 करोड़ हो गया है.
  • फिल्म अभी 15 करोड़ से दूर है. हालांकि उम्मीद है कि वीकेंड पर ये फिल्म 20 करोड़ का आंकड़ा पार कर लेगी.

श्रीराम राघवन के डायरेक्शन में बनीं मैरी क्रिसमस एक मर्डर मिस्ट्री है. फिल्म में कैटरीना और विजय के साथ संजय कपूर, टीनू आनंद, विनय पाठक अहम किरदार निभाते नजर आए हैं. फिल्म में राधिका आप्टे का कैमियो है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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