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मोबाइल की सेटिंग्स बदलने से क्या पावरफुल होगी बैटरी? जानिए इस दावे की सच्चाई

Smartphone Battery : स्मार्टफोन यूज करते-करते पुराना हो जाता है और इसकी बैटरी की पावर भी कम होती चली जाती है, लेकिन कई टेक एक्सपर्ट दावा करते हैं कि बैटरी की सेटिंग्स में बदलाव करके आप बैटरी की पहले जैसी परफॉर्मेंस पा सकते हैं. अगर आपने भी ऐसा सुना है तो क्या आपको लगता है ये सही बात है?

ऐसे में हम आपके लिए बैटरी की सेटिंग्स और उससे जुड़े सभी मुद्दों की जानकारी लेकर आए हैं, जिसमें आपको पता चलेगा कि बैटरी की सेटिंग्स में बदलाव करके बैटरी की पावर में कितना बदलाव होता है और टेक एक्सपर्ट की बातों में कितनी सच्चाई है.

बैटरी की सेटिंग से दूर होती है ये प्रॉब्लम

स्मार्टफोन को जब आप कई दिनों तक री-स्टार्ट नहीं करते हैं, तो इसकी बैटरी में कुछ न कुछ इश्यू आ जाते हैं. जिनको आप स्मार्टफोन की बैटरी में जाकर ठीक कर सकते हैं. इससे केवल बैटरी की हीटिंग और चार्जिंग नहीं होने जैसे प्रॉब्लम ही ठीक किए जा सकते हैं. लेकिन कोई कहे कि बैटरी पहले की तरह काम करेगी तो वो एक्सपर्ट एकदम झूठ बोल रहा है. वहीं बैटरी को लंबा चलाने के लिए आप नीचे बताए टिप्स यूज कर सकते हैं.

बेकार ऐप्स तुरंत कर दें डिलीट

कई बार आपके स्मार्टफोन में कुछ ऐसे आप होते हैं जिनका आपके पास कोई भी इस्तेमाल नहीं होता है ऐसे में आपको इन्हें तुरंत ही डिलीट कर देना चाहिए. एप्स की वजह से लगातार बैटरी पर बुरा प्रभाव पड़ता रहता है और आपको पता भी नहीं चलता है और आखिर में बैटरी पूरी तरह से खराब हो जाती है.

सॉफ्टवेयर अपडेट 

आमतौर पर लोग अपने पुराने स्मार्ट फोन में सॉफ्टवेयर अपडेट नहीं करते हैं जिसकी वजह से बैटरी लगातार कमजोर होती रहती है क्योंकि कंपनी सॉफ्टवेयर अपडेट में बैटरी बूस्टिंग का फीचर भी ऐड करती हैं. अगर आप अपने पुराने स्मार्ट फोन में सॉफ्टवेयर अपडेट कर देते हैं तो इससे बैटरी में नई जान आ जाती है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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