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‘श्रीमान श्रीमती’ फेम इस जाने-माने एक्टर को जालसाजों ने लगाई 75,000 की चपत, जानें पूरा मामला

Shriman Shrimati Fame Rakesh Bedi: टीवी और बॉलीवुड के जाने-माने चेहरे राकेश बेदी एक फोन स्कैम का शिकार हो गए हैं.उनसे एक स्कैमर ने फोन कॉल के जरिए 75000 रुपये की धोखाधड़ी की है. राकेश बेदी ने लोगों के चेताया है कि ऐसे लोगों से सावधान रहें. राकेश बेदी ने कहा कई स्कैमर खुद को सेना का जवान बताकर धोखाधड़ी कर रहे हैं.

राकेश बेदी ने ओशिवारा पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई है कि स्कैमर्स ने उनसे जालसाजी करके 75,000 ऐंठ लिए हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने बताया है कि मैं बड़े नुकसान से बच गया हूं. उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि लोग ऐसे जालसाजों से बचें जो सेना के नाम पर ठगी कर रहे हैं.

क्या है पूरा मामला?
राकेश बेदी के पास खुद को भारतीय सेना से बताने वाले एक शख्स ने कॉल कर कहा कि वो उनके पुणे वाले फ्लैट में इंट्रेस्टेड है. राकेश बेदी को जब तक ये एहसास हुआ कि उनके साथ धोखाधड़ी हुई है, तब तक वो उस शख्स के अकाउंट में 75000 रुपये ट्रांसफर कर चुके थे. उन्होंने बताया कि ऐसे लोग अक्सर रात में कॉल करते हैं. ताकि अगर किसी को ये एहसास भी हो कि उसके साथ धोखाधड़ी हुई है, तब तक शिकायत दर्ज करने के लिए बहुत देर हो चुकी होती है.

राकेश ने पुलिस को जालसाज से जुड़ी डिटेल्स जैसे कि उसका नाम, बैंक अकाउंट नंबर, फोटो और ट्रांजैक्शन डिटेल्स दे दी हैं. राकेश के मुताबिक, पुलिस ने उन्हें बताया कि इस तरह के केस काफी समय से हो रहे हैं. शुक्र है कि मैंने ज्यादा रुपया नहीं गंवाया.

फिल्म और टीवी की दुनिया में जाना-माना चेहरा हैं राकेश बेदी
राकेश पिछले 4 दशकों से पर्दे पर दिख रहे हैं. उन्होंने चश्मे बद्दूर, खट्टा मीठा, और प्रोफेसर की पड़ोसन जैसी फिल्मों में काम किया है. इसके अलावा, राकेश ये जो है जिंदगी, श्रीमान श्रीमती जैसे कई टीवी सीरियल्स में भी अपनी एक्टिंग का जलवा दिखाया है. राकेश की गिनती बेहतरीन कॉमिक टाइमिंग वाले एक्टर्स में होती है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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